भारत के गांवों में सिंचाई के स्रोत हुए अच्छे, उपज और इनकम में हुई बढ़ोत्तरी

पश्चिम बंगाल में पानी के संग्रहण से सक्षम तालाबों की संख्या बढ़ी जिससे सरसों का उत्पादन दोगुना हुआ है। धान की पैदावार में 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और किसानों की आय 34 प्रतिशत बढ़ी है। यानी जिन गांव में सुधार की पहल हुई है अच्छे परिणाम मिले हैं।

नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में कृषि संरक्षण, कृषि प्रबंधन, वाटर हार्वेस्टिंग, सौर ऊर्जा से चलने वाले सिंचाई पंप की सब्सिडी और आधुनिक सिंचाई को बढ़ावा देने से किसानों को खूब फायदा हुआ है। डिजिटल, मोबाइल और वीडियो के जरिए किसानों को जागरूक करने से भी उन्हें काफी लाभ हुआ है। इससे किसानों की उपज और आमदनी में इजाफा हुआ है। वहीं, पश्चिम बंगाल में बरसाती पानी के संग्रहण से सक्षम तालाबों की संख्या बढ़ी, जिससे सरसों का उत्पादन दोगुना हो गया है। धान की पैदावार में भी इससे 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और किसानों की आय 34 प्रतिशत बढ़ी है। यानी जिन-जिन गांव में सिंचाई में सुधार की पहल हुई है अच्छे परिणाम मिले हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन की नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

चुने हुए खाद्य उत्पादों में पानी का भाग (क्यूबिक मीटर प्रति टन में):

काफी काम बाकी हैं-

भारत में सिंचाई पर प्रति वर्ष करीब 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च होते हैं

भारत की बरसाती फसलों वाली 20 फीसदी से ज्यादा कृषि योग्य भूमि अक्सर सूखे का सामना करती है

भारत की सिंचाई पर निर्भर 90 फीसदी से ज्यादा कृषि योग्य भूमि में पानी की भयंकर कमी है

  • भारत की करीब 35 फीसदी कृषि भूमि बरसाती फसलों वाली है
  • भारत की करीब 65 फीसदी कृषि भूमि सिंचाई पर निर्भर है

14 से 22 फीसदी सिंचाई भारत में भूगर्भ जल से होती है, यह क्षेत्र करीब 8.4 मिलियन हेक्टेयर से 13 मिलियन हेक्टेयर का है

गांव में गरीबी कम होने में 1970 से 1993 के बीच चली सिंचाई योजनाओं का काफी योगदान है, अर्थात सिंचाई पर बहुत कुछ निर्भर करता है

पोषक आहार से बढ़ी पानी की खपत-

रिपोर्ट के मुताबिक भारत, चीन और ब्राजील का एक शोध बताता है कि लोग आहार को पोषक बनाने पर जोर दे रहे हैं। वे सब्जी, फल, अनाज, मीट और डेयरी प्रोडक्ट का सेवन करते हैं। इससे पानी की प्रतिदिन खपत प्रति व्यक्ति 1000 लीटर तक बढ़ गई है। इन इलाकों में दुनिया के तीन अरब लोग रहते हैं।

पानी का पुन: उपयोग में तीसरे नंबर पर भारत-

दुनिया में पानी के रियूज पर काफी जोर दिया जा रहा है। चीन 3.7 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी का प्रतिदिन पुन: इस्तेमाल करता है। इसके बाद अमेरिका में 8.8 लाख क्यूबिक मीटर और भारत में 6.8 लाख क्यूबिक मीटर पानी का पुन: इस्तेमाल किया जा रहा है।

पेयजल और सिंचाई के संकट से जूझ रही दुनिया-

द स्टेट ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर 2020 रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के 300 करोड़ लोग ऐसे कृषि क्षेत्र में रहते हैं, जहां पानी की बेहद कमी है। इनमें से आधे लोगों यानी 150 करोड़ लोगों को बेहद दबाव का सामना करना पड़ता है। वहीं दुनिया में पेयजल की भी भयंकर कमी हो गई है। पिछले दो दशकों में पेयजल की उपलब्धता प्रति व्यक्ति 20 फीसदी कम हो गई है।

दुनिया भर का यही हाल-

पानी की कमी झेल रहे 44 फीसदी लोग (1.2 अरब लोग) ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। वहीं इस चुनौती का सामना कर रहे लोगों में से 40 प्रतिशत लोग पूर्वी और दक्षिण पूर्वी एशिया और दक्षिण एशिया में रहते हैं। सेंट्रल एशिया, उत्तरी अफ्रीका और दक्षिणी एशिया की स्थिति भी अच्छी नहीं है। यहां पांच में से एक व्यक्ति पानी की कमी की समस्या का सामना कर रहा है।

11 फीसद बरसाती फसलों वाली कृषि योग्य भूमि (128 मिलियन हेक्टेयर) अक्सर सूखे का सामना करती है

60 फीसद (171 मिलियन हेक्टेयर) सिंचाई पर निर्भर कृषि योग्य भूमि में पानी की भयंकर कमी है

14 फीसद (656 मिलियन हेक्टेयर) चारागाह की भूमि में सूखा है

यहां कम दिक्कत है-

यूरोप, लैटिन अमेरिका, कैरिबियन देशों, उत्तरी अमेरिका और ओशिनिया के सिर्फ चार फीसदी लोगों को पानी की दिक्कत है। सब सहारा अफ्रीका यह प्रतिशत 5 है।

समाधान पर भी दिया जा रहा जोर-

पानी की इन चुनौतियों के बीच दुनियाभर में इसके समाधान पर भी जोर दिया जा रहा है, जैसे, वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा देना, वर्षा क्षेत्रों का संरक्षण और अत्याधुनिक सिंचाई तंत्र का विकास। खेती के लिए भी बेहतरीन तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, कम पानी में उगने वाली फसलें उगाई जा रही हैं। पानी के अधिकार, कोटा निर्धारण और वॉटर ऑडिट पर भी जोर दिया जा रहा है। लेकिन हम कामयाब नहीं होंगे जब तक हर कोई पानी की कीमत को नहीं समझेगा।

पानी के इन आंकड़ों को समझें-

ओशिनिया में 2017 में जहां प्रति व्यक्ति पेयजल 43 हजार क्यूबिक मीटर था। वहीं पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ्रीका में यह एक हजार क्यूबिक मीटर था।

सेंट्रल एशिया में प्रति व्यक्ति जहां 2 हजार क्यूबिक मीटर पानी की निकासी की जा रही है। सब सहारा में यह मात्र 130 क्यूबिक मीटर है।

कम विकसित देशों की 74 फीसद ग्रामीण आबादी के पास सुरक्षित पेयजल नहीं है।

41 फीसद सिंचाई वातावरण पर निर्भर है-

दुनिया के बड़े जंगल जैसे अमेजन, कांगो की यांग्त्ज़ी नदी बेसिन जल वाष्प के महत्वपूर्ण स्रोत हैं। इसलिए, वर्षा आधारित कृषि के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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