दुनिया की सबसे घातक मिसाइल से लैस हुआ चीनी बॉम्‍बर, पलक झपकते ही मचाएगी तबाही

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह मिसाइल चीन के जमीन से दागे जाने वाली हाइपरसोनिक मिसाइल DF-17 का हवाई संस्‍करण है। इस मिसाइल की गति ध्‍वनि से 5 गुना ज्‍यादा है जो इसे दुनिया की सबसे घातक मिसाइलों में शामिल कराती है। यह क्षमता अभी केवल रूस और अमेरिका के पास है। भारत ने भी हाल ही में अपने हाइपरसोनिक वेपन का सफल परीक्षण किया है। चीन लंबे समय से अपनी सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों के हवाई संस्‍करण बनाने पर काम कर रहा है। चीन लंबे समय से अपनी DF-21D के एंटी शिप बलिस्टिक मिसाइल संस्‍करण बनाने पर काम कर रहा है। हालांकि ऐसा पहली बार है जब दुनिया को चीन की हवा से दागे जाने वाली मिसाइल को देखने का मौका म‍िला है।

द ड्राइव की रिपोर्ट के मुताबिक चीन का H-6N विमान बेहद खतरनाक है और इसे तेजी से चलने वाले ड्रोन विमान से लेकर एंटी शिप मिसाइलों को ले जाने के लिए बनाया गया है। यह विमान क्रूज मिसाइलें भी दागने में सक्षम है। यह चीन के बमवर्षक विमान H-6K का उन्‍नत संस्‍करण है जो खुद भी अत्‍याधुनिक है। H-6K सोवियत संघ के Tu-16 बमवर्षक विमान पर आधारित है। चीन ने अब अपने H-6N विमान के लिए हवा से दागे जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइलें बना रहा है। चीन ने हाल ही में अपने सैन्‍य परेड में भारी भरकम DF-17 मिसाइल का प्रदर्शन किया था। यह मिसाइल कितनी कारगर है, इसके बारे में अभी बहुत कम जानकारी है। हालांकि चीन निश्चित रूप से दुनिया को यह बताना चाहता है कि उसके पास पूरी तरह से सक्रिय हाइपरसोनिक मिसाइल है।

हाइपरसोनिक मिसाइल से लैस चीनी विमान सैंकड़ों या हजारों किलोमीटर की दूरी से अमेरिका के गुआम और वेक द्वीप समूह पर स्थित नेवल बेस और भारत के अंडमान नौसैनिक अड्डे को तबाह कर सकता है। यही नहीं यह चीनी मिसाइल समुद्र में दुश्‍मन के किसी भी युद्धपोत को पलक झपकते ही नष्‍ट कर सकती है। हाइपरसोनिक मिसाइलों के मामले में अमेरिका भी अभी चीन और रूस की मिसाइलों से काफी पीछे है। चीनी के इस मिसाइल के सामने आने के बाद अब दुनिया में हाइपरसोनिक मिसाइलों को बनाने की जंग तेज होने की आशंका तेज हो गई है। दुनिया में अभी तक रूस के एस-500 के अलावा किसी भी एयर डिफेंस सिस्‍टम में इसे रोकने की ताकत नहीं है।

अमेरिका और चीन में ताइवान समेत कई मुद्दों को लेकर विवाद चरम पर है। आए दिन यूएस नेवी के युद्धपोत और एयरक्राफ्ट कैरियर चीन के नजदीक पहुंचते हैं। ताइवान पर खतरे को देखते हुए अमेरिका ने अपने एयरक्राफ्ट कैरियर को साउथ चाइना सी में तैनात कर रखा है। ऐसे में चीनी नेवी की इस कैरियर किलर हाइपरसोनिक मिसाइल से अमेरिकी नेवी को खतरा हो सकता है। ऐसे मिसाइल की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि यह दुश्मन को रिएक्ट करने के लिए सबसे कम समय देते हैं। जबकि बैलिस्टिक मिसाइल के लैंड और सी वैरियंट को लॉन्च करते ही दुश्मन को सूचना मिल जाती है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने 2019 में इस मिसाइल को CH-AS-X-13 का नाम दिया था। देखने में यह मिसाइल चीन के DF-17 जैसी लगती है क्योंकि इसके भी आगे का हिस्सा हाइपरसोनिक ग्लाइड वाहन (HGV) जैसे दिखाई देता है।

DF-17 चीन की दो स्टेज सॉलिड फ्यूल से चलने वाली मिसाइल है। इसकी ऑपरेशनल रेंज लगभग 3000 किलोमीटर है। दावा यह भी किया जाता है कि यह मिसाइल अपने साथ परमाणु वॉरहेड को भी लेकर जाने में सक्षम है। इस मिसाइल को डीएफ-21डी का एयर लॉन्च वैरियंट भी कहा जाता है। डीएफ-21डी मिसाइल 30 फीट से ज्यादा लंबी है जो 2000 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है। इसलिए इस मिसाइल को जमीन से ही लॉन्च किया जा सकता है। चीन के तरफ से कभी भी इस मिसाइल को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है। भारत के पास अभी हवा से एंटी शिप हाइपरसोनिक मिसाइल को लॉन्च करने की तकनीकी नहीं है। अभी तक भारत अपने सुखोई-30 एमकेआई से ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को दागने की तकनीकी ही हासिल कर पाया है। क्योंकि, बैलिस्टिक मिसाइल क्रूज की तुलना में भारी और लंबी होती हैं। ऐसे में उन्हें लॉन्च करने के लिए भी कोई लंबा प्लेन चाहिए।

भारत के लिए बड़ा खतरा है चीनी नेवल बेस-

करीब एक दशक पहले चीनी नौसेना ने समुद्री लुटेरों से बचाव के नाम पर हिंद महासागर में कदम रखा था। भारतीय विश्‍लेषकों का मानना है कि पहले ऐसा विचार था कि चीन अपने हितों और व्‍यापार की सुरक्षा के लिए ऐसा कर रहा है लेकिन राय बदल रही है। कई विश्‍लेषकों का मानना है कि चीन अब खुद को हिंद महासागर की एक बड़ी शक्ति के रूप में प्रॉजेक्‍ट करने में लगा हुआ है। चीन लगातार हिंद महासागर में पनडुब्‍बी और युद्धपोत भेज रहा है। पिछले साल सितंबर महीने में एक चीनी जहाज भारतीय समुद्री इलाके में घुस आया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को पश्चिमी प्रशांत महासागर में अपनी पहुंच बढ़ानी चाहिए जहां पर चीन का दबदबा है। इससे ड्रैगन को अपने कदम खींचने के लिए मजबूर होना पडे़गा।

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