तीन किलोमीटर पैदल सफर कर प्रसूता के घर पहुंचे और कराया प्रसव, उदयपुर ग्राम में एम्बुलेंस में गूंजी किलकारी

बिलासपुर। सरगुजा जिले के दरिमा थाना क्षेत्र के ग्राम सुमेला बहरा, धाबी झरना में प्रसव पीड़िता को लेने के लिए पहुंची महतारी 102 एक्सप्रेस गांव तक नहीं पहुंच पाई। प्रसूता के गांव तक पहुंच मार्ग खराब होने के कारण तीन किलोमीटर पहले ही एंबुलेंस को रोकना पड़ा। मितानिन ने जब एंबुलेंस के पायलट व ईएमटी से संपर्क किया तो उन्होंने खराब रास्ते के कारण एंबुलेंस के गांव से तीन किलोमीटर पहले रुकने की जानकारी दी। मितानिन ने प्रसव पीड़िता की बढ़ती तकलीफ से एंबुलेंस के ईएमटी को अवगत कराया। इसके बाद प्रसूता के घर तक पैदल पहुंचे ईएमटी ने घर में ही सुरक्षित प्रसव कराया। प्रसूता को गांव से एंबुलेंस तक लाने के लिए कोई साधन नहीं मिलने और घुप्प अंधेरा होने के कारण वह अस्पताल में मिलने वाली दवा सहित अन्य सुविधा से वंचित रह गई।

जानकारी के मुताबिक ग्राम सुमेला बहरा, धाबी झरना की मितानिन नानमुनि ने 14 नवंबर की रात आठ बजे प्रसव पीड़िता अलका (28) को अस्पताल पहुंचाने के लिए 102 नंबर पर एंबुलेंस की सुविधा के लिए डॉयल किया था। सूचना मिलने पर एंबुलेंस लेकर ईएमटी व पायलट गांव के लिए रवाना हुए लेकिन रास्ता काफी खराब होने के कारण मुझे गांव से तीन किलोमीटर पहले ही एंबुलेंस रोकना पड़ गया। प्रसूता की देखरेख में लगी मितानिन ने एंबुलेंस के पहुंचने में हो रही देरी को देखते हुए जब गांव के लिए निकली एंबुलेंस के पायलट शनि से संपर्क किया तो पता चला कि खराब रास्ता होने के कारण गांव तक एंबुलेंस का पहुंच पाना मुश्किल है। मितानिन ने एंबुलेंस के साथ पहुंचे इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन धर्म को प्रसव पीड़िता की बिगड़ती स्थिति से अवगत कराया।

इसके बाद प्रसूता के घर की दहलीज से तीन किलोमीटर दूर एंबुलेंस को छोड़कर ईएमटी धर्म को तीन किलोमीटर का फासला पैदल तय करना पड़ा। प्रसूता के घर तक पहुंच मितानिन के सहयोग से ईएमटी ने सुरक्षित प्रसव कराया। घर में ही बच्चे की किलकारी सुनकर प्रसव पीड़िता के स्वजन हर्षित हो उठे। जच्चा-बच्चा को आवश्यक दवा, टीका का लाभ मिले इसके लिए इन्हें एंबुलेंस तक लाने देर रात सुविधा नहीं मिल पाई, जिससे प्रसूता को गांव में ही छोड़ना पड़ा। ग्रामीणों का कहना था कि रास्ता खराब होने के कारण कई बार उन्हें स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है। बरसात में तो गांव का पहुंच मार्ग और भी खराब हो जाता है, जिससे वे गांव तक ही सिमटकर रह जाते हैं।

संजीवनी एंबुलेंस में शिशु का जन्म-

अंबिकापुर। विकासखंड उदयपुर के ग्राम डोई की मुनेश्वरी बाई पति समरथ 25 वर्ष के लिए 108 संजीवनी वाहन की सेवा वरदान साबित हुई है।सोमवार की दोपहर दो बजे प्रसव पीड़ा होने पर मुनेश्वरी के पति द्वारा 108 संजीवनी पर फोन किया गया।संजीवनी की टीम तत्काल मौके पर पहुंची तथा प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला को संजीवनी बिठाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए ले जाया जाने लगा।इसी दौरान कुछ दूर के बाद महिला की प्रसव पीड़ा ज्यादा बढ़ गई। महिला की प्रसव पीड़ा को देखते हुए संजीवनी के ईएमटी कृष्णा श्रीवास द्वारा पायलट कृष्ण कुमार से बात कर वाहन को सड़क किनारे साइड में खड़ी करने को कहा गया। मितानिन व दाई के सहयोग से ईएमटी की उपस्थिति में गर्भवती महिला का सुरक्षित प्रसव कराया गया। ईएमटी कृष्णा श्रीवास द्वारा बालक का साफ- सफाई कर नाल काटा गया। जच्चा-बच्चा दोनों को स्वस्थ हालत में उदयपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। संजीवनी की सेवा डोई के मुनेश्वरी के परिवार के लिए खुशियां लेकर आई इससे घर परिवार सहित गांव के लोग भी खुश नजर आ रहे

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