14, 15 नवंबर को इन राज्‍यों में दिवाली हो सकती हैं फीकी, भारी बारिश और बर्फबारी की बनी संभावना: मौसम विभाग का अनुमान

दीवाली के आसपास मौसम में बड़ा बदलाव होने की संभावना है। मौसम के जानकार अब सर्दी बढ़ने के साथ ही बेमौसम बारिश की भी संभावना जता रहे हैं। उत्तर भारत के पर्वतीय और मैदानी इलाकों में सर्दी की वर्तमान स्थिति में व्यापक बदलाव होने की संभावना है। 14 और 15 नवंबर को संपूर्ण कश्मीर घाटी में मध्यम वर्षा और हिमपात की संभावना है। जबकि कुछ इलाकों में भारी बर्फबारी और बारिश के भी आसार हैं। भारतीय मौसम विभाग IMD का अनुमान है कि अभी कुछ इलाकों में भारी बारिश हो सकती है। कहीं पर मध्‍यम बारिश होगी तो कहीं तेज हवा भी चलने की संभावना है। स्‍कायमेट वेदर के अनुसार आगामी बारिश और बर्फबारी के कारण भी 14 और 15 नवंबर को सड़क संपर्क प्रभावित हो सकता है। निचले इलाकों में बारिश की संभावना जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी के आसार हैं। आगामी पश्चिमी विक्षोभ के कारण हवाओं के रूप में स्थाई रूप से बदलाव पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक आएगा। यानी सर्दियों का असली रंग जल्द दिखेगा। इस सिस्टम से पहले एक पश्चिमी विक्षोभ 2 नवंबर के आसपास रोहतांग पास में लगभग 20 सेंटीमीटर जबकि बारालाचा पास में 30 सेंटीमीटर की भारी बर्फबारी हुई थी। इसके चलते मनाली-लेह राजमार्ग को सीजन में पहली बार बंद करना पड़ा था। अगले 24 घंटों के दौरान दक्षिणी केरल और तमिलानाडु तथा दक्षिणी तटीय आंध्र प्रदेश में एक-दो स्थानों पर वर्षा की संभावना है।

यह है आगामी अनुमान-

दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और मलनाड क्षेत्रों में बारिश होने की संभावना है। तटीय क्षेत्र में होने वाली हल्की से मध्यम बारिश की संभावना और उत्तर आंतरिक कर्नाटक क्षेत्र में अलग-थलग पड़ने वाली हल्की बारिश की संभावना है। अगले 24 घंटों में ब्रूटल बेंगलुरु महानगर पालिक क्षेत्र में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। BBMP क्षेत्र और कोहरे / धुंध पर गरज के साथ होने वाली हल्की से मध्यम बारिश अगले 2 दिनों तक सुबह के समय होने की संभावना है।

हिमाचल प्रदेश में बारिश की कोई संभावना नहीं-

सूखे ने किसानों और बागवानों की चिंता बढ़ा दी है। ऊंचे क्षेत्रों को छोड़ प्रदेश के बाकी हिस्सों में 17 सितंबर के बाद बारिश नहीं हुई है। सूखे के कारण रबी फसलों की बिजाई का काम नहीं हो सका है और सब्जियों का काम भी नहीं हो सका है। इसके कारण उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। मौसम विभाग के निदेशक मनमोहन सिंह का कहना है आठ दिन तक मौसम साफ रहने की संभावना है। अक्टूबर में न के बराबर बारिश हुई, जिसका कृषि के लिए कोई लाभ नहीं है।

बेमौसम बारिश से फसलों पर मिला जुला प्रभाव-

मध्‍य भारत के कुछ इलाकों में विगत तीन चार दिनों से लगातार शाम होते ही मौसम का मिजाज अचानक बदल जाता है और रात होते होते बारिश होने लगती है। इसे लेकर किसान चिंतित हैं। खेत में धान की फसल तैयार हो गई है और किसान इसकी कटाई में जुटे हुए हैं। यह बारिश फसल के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा है। लगातार बारिश से किसान अर्ली वेरायटी धानों को कटाई नही कर पा रहे है बल्कि यह बारिश धान की फसलोंं को नुकसान पहुंचा रहे हैं। सरना धान जिसकी बाली निकल रही है या निकलने की तैयारी में है। धान के लिए यह बारिश संजीवनी साबित हो रही है। बीच में एक अंतराल तक पानी नहींं गिरने के कारण खेतोंं को पानी की आवश्यकता है। किसान आसपास के नगर एवं ट्यूबवेल का सहारा लेना प्रारंभ कर चुके थे, पर इस बारिश से सरना धान के फसलों को संजीवनी मिल गयी है।

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