पंजाब में 27 दिन बाद रेलवे ट्रैक से हटे किसान, कहा- मालगाड़ी ही चलने देंगे, 5 नवंबर को भारत बंद का आह्वान

तीन कृषि सुधार कानूनों को रद करने की मांग को लेकर 27 दिन से संघर्ष कर रहे किसान संगठनों ने केंद्र सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम देते हुए 4 नवंबर तक रेलवे ट्रैक से हटने का फैसला लिया है। इसके साथ ही 5 नवंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। किसान संगठनों का कहना है कि 4 नवंबर तक केवल मालगाडिय़ों का परिचालन किया जा सकेगा, अगर यात्री गाडिय़ां चलाई गईं तो दोबारा ट्रैक जाम किए जाएंगे।

तालमेल कमेटी की बैठक में 4 नवंबर तक मालगाडिय़ों के लिए ट्रैक से हटने का फैसला

पंजाब सरकार की ओर से पारित किए गए तीन बिलों के बाद किसान संगठनों ने रेलवे ट्रैक से हटने का फैसला किया। इसके साथ ही स्पष्ट किया कि भाजपा नेताओं का घेराव, निजी कंपनी के पैट्रोल पंपों और टोल प्लाजा पर धरने निरंतर जारी रहेंगे। अगली रणनीति तय करने के लिए तालमेल कमेटी की बैठक 4 नवंबर को होगी।

मंत्रियों से कहा, 5 नवंबर से मालगाडिय़ां नहीं चलने देंगे

पंजाब के तीन मंत्रियों तृप्त राङ्क्षजदर ङ्क्षसह बाजवा, भारत भूषण आशु व सुखजिंदर सिंह रंधावा सहित मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव कैप्टन संदीप संधू ने बुधवार को किसानों से मुलाकात की। किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा कि मंत्री किसान नेताओं से बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी लेने आए थे। मंत्रियों को स्पष्ट कर दिया गया है कि 4 नवंबर तक कोयला, डीएपी, बारदाना और अन्य जरूरी सामान मंगवाने के लिए रेलवे ट्रैक खाली किया जा रहा है। पांच नवंबर से इसे फिर बंद कर दिया जाएगा।

पंजाब सरकार के बिलों में त्रुटियां लेकिन यह किसानों की आंशिक जीत

तालमेल कमेटी की बैठक में पंजाब सरकार के कृषि बिलों पर चर्चा के बाद किसान नेता बूटा ङ्क्षसह बुर्जगिल ने कहा मुलाकात करने आए मंत्रियों को बता दिया गया है कि इन बिलों में कुछ त्रुटियां हैं। परंतु फिर भी यह बिल पास होना किसानों की आंशिक जीत है। अगर राज्यपाल ने बिलों पर हस्ताक्षर नहीं किए तो उनका भी घेराव किया जा सकता है।

27 अक्टूबर को दिल्ली में 250 किसान संगठनों की होगी बैठक

किसान नेता जगमोहन सिंह ने कहा कि पंजाब के विधायकों, मंत्रियों के घेराव का अल्टीमेटम देने के बाद सरकार ने चार विधेयक पास किए हैं। अब संघर्ष को पूरे देश में ले जाया जाएगा। 27 अक्टूबर को दिल्ली में देश के सभी किसान संगठनों की बैठक होगी, जिसमें 250 से ज्यादा किसान संगठनों के नेता शामिल होंगे। अगर केंद्र सरकार ने अपने कानून रद न किए तो किसान संघर्ष का अगला केंद्र दिल्ली बन सकता है।

बैठक में पेट्रो डीलरों की नारेबाजी से हंगामा

किसान भवन हुई 30 किसान संगठनों की बैठक में उस समय हंगामा हो गया जब एक निजी पेट्रो कंपनी के डीलरों ने बैठक में पहुंचकर नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई। भाकियू राजेवाल के प्रधान बलबीर ङ्क्षसह राजेवाल ने आरोप लगाया कि कारपोरेट घरानों किसानों के संघर्ष को नाकाम करने के लिए किसानों पर हमला करवाया है।

भाकियू कादियां के नेता हरमीत कादियां ने बैठक में हंगामे के बाद कहा कि जब किसान की रोटी छीनी जाएगी तो किसान धरने लगाएंगे। केंद्र सरकार की नीतियों के कारण किसान वर्ग सड़कों पर आ गया है। पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और अब कृषि विरोधी कानून बना दिए गए हैं।

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