बस्तर के इन गांवों में बाढ़ के हालात, घरों में घुसा पानी, ग्रामीणों ने राहत केंद्रों में ली शरण

बस्तर ब्लॉक के ग्राम पंचायत मधोता के ग्रामीणों के लिए यह बारिश आफत बन कर आई। मार्कंडेय नदी, नारंगी नदी में लगातार बढ़ते जल स्तर से जहां 2 दर्जन से अधिक परिवार घरों में पानी भरने के कारण अपने छोटे-छोटे बच्चों को लेकर राहत केन्द्र में शरण लेनी पड़ी है। ग्रामीण जहां मध्य रात्रि से ही अपने बच्चों धान, मक्का, मढिया सहित अन्य खाद्य सामग्रियों को निकालकर सुरक्षित स्थानों में ले जा रहे थे। शाला भवन की चार दीवारी के अंदर अपने जानवरों को रखे थे। सुबह जब पानी वहां भी भरने लगा तो जंगल के आगे के स्थानों में ले जाने लगे।

बच्चों को चारपाई में उठाकर ला रहे थे परिजन

बाढ़ की भीषण स्थति से परिजन तो पहले से ही वाकिफ थे किन्तु छोटे- छोटे बच्चों को यह समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर क्या हो रहा है। आसपास के घरों के बच्चो को लेकर परिजन चारपाई में बिठाकर सुरक्षित स्थानों तक ल रहे थे। मधोता माटापारा के ग्रामीण नाथूराम, सामु राम, नरसिंग, सोनसिंह, धीरमनी, सोमनराम, कमलसिंग, सुदर राम, दलूराम, गोबर राम, मोसूराम, कमलूराम, घनसिंह, सूदरु के मकान बाढ़ से घिरे हुए हैं। वंही नदी पारा में रहने वाले लेखन राम, मेहतर राम का मकान भी काफी प्रभावित हुआ है।

पंचायत ने दिखाई तत्परता

जिला कलेक्टर के निर्देशानुसार बाढ़ की भीषण स्थिति को देखते हुए जहां आपदा प्रबंधन से जुड़े अधिकारी पहुंच कर लोगों को घरों से बाहर निकलवा रहे थे। वहीं सरपंच सचिव कोटवार भी भोजन सहित लोगों के सामग्रियों की सुरक्षा की जवाबदारी का बखूबी निर्वहन कर रहे थे। बता दें कि पिछले एक सप्ताह से बस्तर संभाग में लगातार बारिश का दौर जारी है। यहां बीजापुर, बस्तर, सुकमा सहित कई जिलों में ग्रामीण इलाके टापू में तब्दील हो गए हैं।

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