क्या आपने कभी सोचा-आखिर पृथ्वी में यह चुंबकीय क्षेत्र कहां मौजूद है जो बनाए हुए है धरती के अस्तित्व को…

Earth’s Mantle: हमारे सौर मंडल में जितने भी ग्रह, उपग्रह और पिंडंपड मौजूद हैं, सभी गुरुत्वाकर्षण बल से लैस हैं। इस बल की मदद से सभी खगोलीय पिंडों का अस्तित्व बना हुआ है। गुरुत्वाकर्षण में जरा-सी भी कमी होने पर ये पिंड एकदूसरे से टकराकर खत्म हो सकते हैं। यह गुरुत्वाकर्षण ही है कि हम पृथ्वी पर आसानी से चल-फिर पाते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर पृथ्वी में यह चुंबकीय क्षेत्र कहां मौजूद है, जो धरती के अस्तित्व को भी बनाए हुए है।

एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस संबंध में नए दावे किए हैं। उनका अनुमान है कि पृथ्वी के चारों ओर उत्पन्न होने वाला चुंबकीय बल इसके भीतरी हिस्से ‘मैंटल’ के तरल भाग के भीतर होने वाली प्रक्रियाओं के आधार पर तय होता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन के निष्कर्ष पृथ्वी के शुरुआती इतिहास के बारे में बेहतर समझ पैदा कर सकते हैं।

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन डिएगो के शोधकर्ताओं के मुताबिक, लंबे समय से यह माना जाता रहा है कि पृथ्वी का तरल बाहरी कोर (आंतरिक हिस्सा) हमेशा डायनेमो का प्रमुख स्नोत रहा है, जो इसके चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करता है। जर्नल ‘अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंस लेटर्स’ में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि उनका नया सिद्धांत हमारे ग्रह की शुरुआती दिनों की विसंगतियों को हल करने का अवसर प्रदान कर सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन डिएगो से इस अध्ययन के सह-लेखक डेव स्टेगमैन ने कहा, ‘वर्तमान में हमारे पास कोई ठोस सिद्धांत नहीं है जो यह बता सके कि गर्मी से कैसे पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र निर्माण हुआ और न ही इसके विकास को समझने के लिए हमारे पास कोई वैचारिक ढांचा है।

कोर करता है चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण : इससे पहले, वैज्ञानिकों ने कहा कि पृथ्वी और इसके जैसे अन्य ग्रह जिनके पास तरल, धातु कोर होते हैं। वे तेजी से घूमते हैं और उन परिस्थितियों का निमार्ण करते हैं जो गर्मी के संवहन को संभव बनाते हैं और इसी चुंबकीय क्षेत्रों का निर्माण होता है। बाद में भू-गर्भवेत्ताओं ने पाया कि पृथ्वी के 450 करोड़ वर्ष के इतिहास के शुरुआती दौर में पृथ्वी के नीचे का तीसरा हिस्सा पिघला हुआ रहा होगा, जिसे ‘बेसल मैग्मा महासागर’ कहा जाता है। यह चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण कर सकता है।

सिलिकेट मैटेरियल से बना होता है ‘मैंटल’ : वर्तमान अध्ययन में स्टेगमैन और उनकी टीम ने दिखाया कि कोर के बजाय निचले मैंटल का यह तरल हिस्सा पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण कैसे कर सकता है। अध्ययन में बताया गया है कि पृथ्वी का ‘मैंटल’ सिलिकेट मैटेरियल से बना होता है जो सामान्य रूप से बहुत ही खराब विद्युत चालक होता है। लंबे समय से वैज्ञानिकों का अनुमान था कि ‘मैंटल’ के भीतर शायद चुंबकीय क्षेत्र के लिए आवश्यक बड़ी विद्युत धाराएं पैदा नहीं होंगी। लेकिन स्टेगमैन और उनकी टीम ने कहा कि निचले मैंटल का तरल सिलिकेट वास्तव में अधिक विद्युत प्रवाही हो सकता है। जिसके आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि ‘कोर’ के बजाय ‘मैंटल’ पृथ्वी पर चुंबकीय क्षेत्र पैदा करने के लिए जिम्मेदार है।

तीन हिस्सों में बंटा है पृथ्वी का आंतरिक हिस्सा : पृथ्वी का आंतरिक हिस्सा तीन भागों में बंटा है। ऊपरी सतह या भू पर्पटी (क्रस्ट), आवरण (मैंटल) और केंद्रीय भाग (कोर)। पृथ्वी के ऊपरी भाग को भू-पर्पटी कहते है। यह अंदर की तरफ 34 किमी तक का क्षेत्र है। यह बेसाल्ट चट्टानों से बना है। आवरण या मैंटल का क्षेत्र 34 किमी के बाद 2900 किमी का है, जो बेसाल्ट पत्थरों के समूह की चट्टानों से बना है। इसका औसत घनत्व 3.5 ग्राम है। केंद्रीय भाग यानी कोर निकिल और फेरस का बना है। इसका औसत घनत्व 13 ग्राम है। यह पृथ्वी के कुल आयतन का 16 फीसदी भाग घेरे हुए है। पृथ्वी का औसत घनत्व 5.5 ग्राम और औसत त्रिज्या लगभग 6370 किमी है। पृथ्वी के नीचे जाने पर प्रति 32 मीटर की गहराई पर तापमान एक डिग्री सेल्सियस बढ़ता जाता है।

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