चांदी को शास्त्रों में पवित्र और सात्विक माना गया इसका प्रादुर्भाव भगवान शंकर की आंखों से हुआ: धर्म

चांदी का मानव जीवन में काफी महत्व है। यह काफी कीमती और चमकीली धातु मानी जाती है। इस धातु को शास्त्रों में पवित्र और सात्विक माना गया है।

मान्यता है कि चांदी का प्रादुर्भाव भगवान शंकर की आंखों से हुआ है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह धातु चन्द्रमा और शुक्र से सम्बन्ध रखती है। चांदी का शरीर के स्वास्थ्य से भी संबंध है। यह मानव शरीर में जल तत्व और कफ को नियंत्रित करती है।

चांदी के प्रयोग से मन को मजबूती मिलती है और मानसिक शांति का अहसास होता है। शास्त्रों के अनुसार चांदी के प्रयोग से दिमाग काफी तेज चलता है।

इसके प्रयोग से चंद्र ग्रह से जुड़ी समस्याओं का निवारण होता है। चांदी धारण करने और चांदी की वस्तुओं के प्रयोग से चंद्र ग्रह की बाधाओं का नाश होता है।

चांदी का प्रयोग शुक्र ग्रह की पीड़ा का भी नाश करता है। इसके प्रयोग से कुंडली का कमजोर शुक्र मजबूत होता है और मन प्रसन्न रहता है। इसके प्रयोग से शरीर में जमा विष बाहर निकलता है और त्वचा मुलायम और कांतिवान बनती है।

चांदी का प्रयोग हमारे दैनिक जीवन में विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। चांदी के बर्तन बनाकर उनका उपयोग किया जा सकता है। साथ ही चांदी के जेवर बनाकर धारण किए जा सकते हैं।

ज्योतिष के अनुसार चांदी का छल्ला कनिष्ठा अंगुली में धारण करना बेहतर माना गया है। इसके साथ ही चांदी की चेन गले में पहनना भी काफी फायदेमंद होता है।

चांदी के प्रयोग से हांर्मोंस की तकलीफ ठीक हो जाती है और वाणी भी बेहतर हो जाती है। इसी तरह चांदी का कड़ा पहनने से कफ़, वात और पित्त नियंत्रित होते हैं।

चांदी के गिलास में पानी पीने से सर्दी जुकाम की समस्या में आराम मिलता है। चांदी के बर्तन में शहद लेकर सेवन करने से शरीर को विषैले पदार्थों से मुक्ति मिलती है।

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