पंजाब BJP ने एक बार फिर से शिरोमणि अकाली दल से 50 फीसद सीटें लेने की छेड़ दी मांग…

भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक बार फिर से शिरोमणि अकाली दल (SAD) से 50 फीसद सीटें लेने की मांग छेड़ दी है। जालंधर में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा के चुने जाने पर किए गए समारोह में तीन वरिष्ठ नेताओं ने यही लाइन लेकर नई चर्चा शुरू कर दी।

दरअसल, जिस तरह से शिअद में इन दिनों हलचल मची हुई है और पार्टी में नए समीकरण बन रहे हैं, ऐसे में भाजपा नेताओं को लग रहा है कि शिअद में हो रही टूट का असर उनके चुनाव पर भी पड़ेगा। निश्चित तौर पर पार्टी नेताओं की नजर इस बात पर भी है कि सुखदेव सिंह ढींडसा की अगुवाई में इकट्ठे हो रहे टकसाली किस हद तक शिअद को नुकसान पहुंचाने में सक्षम हैं, ताकि भाजपा भी शिअद से अपनी शर्तें बढ़ाकर हिस्सेदारी ज्यादा लेने की तैयारी करे।

शुक्रवार को हुई बैठक में जिस तरह से भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता मदन मोहन मित्तल ने अश्विनी शर्मा से 59 सीटों की मांग करने के लिए कहा, उससे नए संकेत दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि 50 फीसद सीटें लेनी हैं तो हमें यह 59 लेनी पड़ेंगी, तभी हम अपनी सरकार बनाने का दावा कर सकते हैं। इस बयान से साफ है कि अब पार्टी गंभीरता से अपने दम पर चुनाव में उतरना चाहती है। इसी तरह पूर्व मंत्री मास्टर मोहन लाल ने साफतौर पर कहा है कि पार्टी को अब शिअद से पल्ला झाड़ लेना चाहिए और अपने दम पर पार्टी का विस्तार करना चाहिए। पूर्व भाजपा अध्यक्ष बृज लाल रिणवा ने भी इस बात पर अफसोस जताया कि प्रदेश में भाजपा की कभी सरकार नहीं बन सकी।

अभी 23 सीटों पर लड़ती है भाजपा

भाजपा अभी पंजाब में 23 सीटों पर चुनाव लड़ती है। यह तो तय है कि 2022 के विस चुनाव में भाजपा 23 सीटें नहीं लेगी। दरअसल, मालवा में जहां प्रदेश की सबसे ज्यादा सीटें आती हैं, वहां पार्टी के पास राजपुरा, फाजिल्का, अबोहर, फिरोजपुर जैसी सीटें ही हैं। इसके अलावा दो-तीन सीटें लुधियाना जिले की हैं, जबकि बठिंडा, फरीदकोट, मुक्तसर, संगरूर, मानसा जैसे जिलों में तो पार्टी के पास कोई सीट ही नहीं है। पार्टी यहां अपना आधार बढ़ाना चाहती है, इसलिए कई सीटों पर उसकी नजर है।

भाजपा बठिंडा शहरी, बरनाला और संगरूर में भी एक-दो सीटें चाहती है। पार्टी को लगता है कि उनके पास प्रदेश में अपना विस्तार करने का अच्छा मौका है। एक तरफ शिअद कमजोर पड़ रहा है, दूसरी ओर भाजपा का पूरे देश में आधार काफी बढ़ गया है। लगातार दूसरी बार पार्टी ने केंद्र में पूर्ण बहुमत के साथ अपनी सरकार बनाई है। ऐसे में आधी सीटों की मांग के लिए यह उचित समय है।

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