दिल के मरीजों के लिए बड़ी फायदेमंद है ये रिसर्च
दिल की बीमारी से परेशान लोगों के लिए एक राहत भरी खबर है। अब दिल की बीमारी से जूझ रहे लोग अपना ऑपरेशन तीन घंटे की जगह नब्बे मिनट में करवा सकते हैं। दिल की अनियमित धड़कन की बीमारी के शिकार लाखों मरीजों का इलाज नई तकनीक इलेक्ट्रिक गुब्बारे से संभव होगा। दुनिया भर मेें इसका परीक्षण चल रहा है और सबसे पहले ब्रिटेन में इससे इलाज होगा। इस खोज के बाद असामान्य धड़कन के इलाज के लिए जटिल तकनीकों की जरूरत नहीं पड़ेगी।

शोधकर्ताओं के मुताबिक एट्रियल फाइब्रिलेशन दिल की असामान्य धड़कन का सबसे बड़ा कारण है। सिर्फ ब्रिटेन में इसके दस लाख मरीज हैं। इसका इलाज दवा या फिर सर्जरी से होता है।आइए जानते हैं कैसे शुरू होती है यह बीमारी।
रक्त कोशिका से शुरू होती बीमारी
इस बीमारी में फेफड़े से दिल तक ऑक्सीजन युक्त रक्त ले जाने वाली एक या सभी चार रक्त कोशिकाओं में असामान्य इलेक्ट्रिक पल्स शुरू हो जाती है। यह अतिरिक्त पल्स धड़कन को प्रभावित करती है। इससे दिल तेजी से धड़कने लगता है। चक्कर, थकान और सांस फूलने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं।अनियमित धड़कन के चलते हृदय ठीक से रक्त पंप नहीं कर पाता। दिल में रक्त एकत्रित होने लगता है। इससे बने रक्त के थक्के रक्त का प्रवाह रोक देते हैं, जो स्ट्रोक और दिल के दौरे का कारण बन जाता है।
इस बीमारी में फेफड़े से दिल तक ऑक्सीजन युक्त रक्त ले जाने वाली एक या सभी चार रक्त कोशिकाओं में असामान्य इलेक्ट्रिक पल्स शुरू हो जाती है। यह अतिरिक्त पल्स धड़कन को प्रभावित करती है। इससे दिल तेजी से धड़कने लगता है। चक्कर, थकान और सांस फूलने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं।अनियमित धड़कन के चलते हृदय ठीक से रक्त पंप नहीं कर पाता। दिल में रक्त एकत्रित होने लगता है। इससे बने रक्त के थक्के रक्त का प्रवाह रोक देते हैं, जो स्ट्रोक और दिल के दौरे का कारण बन जाता है।
मौजूदा इलाज की तकनीक
डॉ. डगलस न्यूबेरी के बताया, वर्तमान में दवा से दिल की गति को नियंत्रित किया जाता है और रक्त पतला करने की दवा दी जाती है। पर गंभीर बीमारी में दवा असर नहीं करती है। फिर सर्जरी का विकल्प बचता है, जिसके दो तरीके हैं। पहले प्रकार में 28 मिमी का गुब्बारा जांघ की नस से फेफड़े की रक्त कोशिका के प्रवेश द्वार तक पहुंचाया जाता है। फिर नाइट्रोजन ऑक्साइड से गुब्बारे को माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा करते हैं। इससे असामान्य पल्स बंद हो जाती है। इस प्रक्रिया को बैलून क्राइयोबलेशन और गुब्बारे को कैथेटर कहते हैं। पर इसके परिणाम अलग-अलग आते हैं क्योंकि रक्त कोशिका का पिछला हिस्सा अगले हिस्से की तुलना में पतला होता है। इसलिए कुछ क्षेत्र का ज्यादा इलाज हो जाता है तो कुछ का कम।
डॉ. डगलस न्यूबेरी के बताया, वर्तमान में दवा से दिल की गति को नियंत्रित किया जाता है और रक्त पतला करने की दवा दी जाती है। पर गंभीर बीमारी में दवा असर नहीं करती है। फिर सर्जरी का विकल्प बचता है, जिसके दो तरीके हैं। पहले प्रकार में 28 मिमी का गुब्बारा जांघ की नस से फेफड़े की रक्त कोशिका के प्रवेश द्वार तक पहुंचाया जाता है। फिर नाइट्रोजन ऑक्साइड से गुब्बारे को माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा करते हैं। इससे असामान्य पल्स बंद हो जाती है। इस प्रक्रिया को बैलून क्राइयोबलेशन और गुब्बारे को कैथेटर कहते हैं। पर इसके परिणाम अलग-अलग आते हैं क्योंकि रक्त कोशिका का पिछला हिस्सा अगले हिस्से की तुलना में पतला होता है। इसलिए कुछ क्षेत्र का ज्यादा इलाज हो जाता है तो कुछ का कम।
सर्जरी के दूसरे प्रकार में रक्त कोशिका के चारों ओर ऊष्मा का छल्ला बनाकर असामान्य पल्स को रोका जाता है। प्रक्रिया जटिल होने के चलते कुछ मरीजों पर ही आजमाई जाती है।
नई तकनीक
सेंट बार्थोलोमेव अस्पताल में ट्रायल की जा रही नई तकनीक रेडियो फ्रिक्वेंसी बैलून एबलेशन में पहली दोनों सर्जरी समाहित हैं। यह बैलून सारी कोशिका वाहिनी को एक साथ निशाना बनाता है। बैलून को घुमाकर और इलेक्ट्रोड को नियंत्रित कर तय किया जा सकता है कि किस कोशिका वाहिनी को कितनी गर्मी पहुंचानी है।
सेंट बार्थोलोमेव अस्पताल में ट्रायल की जा रही नई तकनीक रेडियो फ्रिक्वेंसी बैलून एबलेशन में पहली दोनों सर्जरी समाहित हैं। यह बैलून सारी कोशिका वाहिनी को एक साथ निशाना बनाता है। बैलून को घुमाकर और इलेक्ट्रोड को नियंत्रित कर तय किया जा सकता है कि किस कोशिका वाहिनी को कितनी गर्मी पहुंचानी है।
जानते हैं इसकी प्रक्रिया
इस प्रकिया में जांघ की नस के जरिये कैथेटर को दिल तक पहुंचाते हैं। बैलून में लगे दस इलेक्ट्रोड रक्त कोशिका के प्रवेश द्वार पर गर्मी की सटीक खुराक पहुंचाते हैं। जिसके बाद रक्त कोशिका गर्म होने से असामान्य सिग्नल बंद हो जाते हैं।
इस प्रकिया में जांघ की नस के जरिये कैथेटर को दिल तक पहुंचाते हैं। बैलून में लगे दस इलेक्ट्रोड रक्त कोशिका के प्रवेश द्वार पर गर्मी की सटीक खुराक पहुंचाते हैं। जिसके बाद रक्त कोशिका गर्म होने से असामान्य सिग्नल बंद हो जाते हैं।