बिहार में पांच दिनों तक चलेगा वामपंथी विचारकों का सम्मेलन  

मार्क्सवाद का प्रभाव वक्त के साथ-साथ कम हो गया है लेकिन आज से 200 साल पहले 5 मई को जन्मे दार्शनिक और सामाजिक विचारक कार्ल मार्क्स आज भी दुनिया के बुद्धिजीवियों को प्रभावित कर रहे हैं। आर्थिक और सामाजिक समानता की विचारधारा उत्पन्न करने वाले मार्क्स के जन्मदिन के मौके पर 16-20 जून के बीच एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।। इस दौरान लंदन, ब्यूनस आयर्स, मास्को के शिक्षाविद पटना आकर एक के बाद एक 38 लेक्चर देंगे और 17 रिसर्च पेपर भी प्रस्तुत करेंगे। 
इस कार्यक्रम का आयोजन पटना के ‘एशियन डेवेलेपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (ADRI) द्वारा किया जाएगा। इस वैश्विक सम्मेलन में बिहार की राजधानी पटना में पांच दिनों के लिए मार्कसवादी शहर के रूप में दिखेगी। इस दौरान सामाजिक वैज्ञानिक द्वंद्वात्मक भौतिकवाद और वर्ग गठन पर डिबेट करेंगे। 

सम्मेलन में टोरंटो यूनिवर्सिटी के सेवामुक्त प्रोफेसर सैमुअल होलैंडर ‘मार्क्स की क्रांतिकारी साख’ पर लेक्चर देंगे। वहीं समीर अमीन ‘कम्युनिस्ट घोषणा पत्र (1848)’ पर भाषण देंगे। करीब 170 साल पहले यह घोषणापत्र जारी हुआ था। ऑक्सफॉर्ड यूनिवर्सिटी में ग्रामीण अर्थशास्त्र की विशेषज्ञ बार्बरा हेरिसवाइट ‘क्षुद्र उत्पादन और भारत के विकास’ पर बात करेंगी। 

इसलिए चुना गया बिहार को

इसके अलावा बरगामो के रिकार्डो बेलोफिओर ‘इज देयर लाइफ ऑफ मार्कस’ पर लेक्चर देंगे। बता दें कि बेलोफिओर समकालीन पूंजीवादी अर्थव्यवस्था और दार्शनिक अर्थशास्त्र की रिसर्च में रुचि रखते हैं। वहीं कोलंबिया विश्वविद्यालय की साहित्यक विचारक गायत्री चक्रवर्ती ‘ आज हम मार्क्सवाद का इस्तेमाल कैसे करें’ विषय पर लेक्चर देंगी। इनके अलावा मिगुइल वेदा, जन तपोरोवस्की, पीटर ह्यूडिस और स्पेनसर लिओनार्ड जैसे सामाजिक वैज्ञानिक भी भाषण देंगे।
बिहार ही क्यों?

जब ADRI के सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता से पूछा गया कि उन्होंने इस कार्यक्रम के लिए बिहार को ही क्यों चुना तो उन्होंने बताया कि कुछ अन्य क्षेत्रों की तरह ही बिहार का कार्ल मार्क्स से कोई विशिष्ट जुड़ाव नहीं है। लेकिन मार्क्सवाद के सिद्धांत और उन पर अमल की बात करें तो यह बात बिहार में सच साबित होती है।

उन्होंने कहा कि बिहार की विधानसभा में वामपंथी संगठन के 3 सदस्य हैं। वहीं सात वाम दलों ने 2015 चुनावों में कुल वोटों का तीन फीसदी हासिल किया था। उन्होंने कहा कि जाति पर आधारित मंडल कमीशन की रिपोर्ट जो 1990 में लागू हुई थी के बाद भी बिहार के दक्षिण-पश्चिम बिहार और केंद्रीय बिहार में वाम दलों का बोलबाला है।  

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