बदल गईं मायावती, अब नहीं करेंगी हड़बड़ाकर विकेट देने की गलती!
कर दिया है कि अस्तित्व की लड़ाई में बने रहने के लिए वो किस राह जाने की तैयारी कर चुकी हैं. बेशक राज्यसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का समर्थन उनके इकलौते उम्मीदवार के लिए संजीवनी नहीं बन पाया. लेकिन मायावती इस बार दूर की सोच रही हैं. इसलिए अखिलेश यादव के बारे में उनका नजरिया मुलायम से बिल्कुल अलग है.
दरअसल बुआ ने तय कर लिया है भतीजे से भाईचारा बना रहेगा, भले ही राज्यसभा के चुनाव में बीएसपी का उम्मीदवार हार गया, भले ही समाजवादी पार्टी ने गोरखपुर और फूलपुर की जीत पर बीएसपी को रिटर्न गिफ्ट देने से चूक गई. लेकिन बुआ-भतीजे की जुगलबंदी पर जिंदाबाद जारी रहेगी.
शनिवार को मायावती का अलग अंदाज देखकर साफ हो गया कि वो अब हड़बड़ाकर विकेट देने के लिए बिल्कुल तैयार नहीं हैं. इसकी जगह मायावती एक-एक रन जोड़कर बड़ा स्कोर खड़ा करने वाली पारी खेल रही हैं. उनका यूं आकर प्रेस कॉन्फेंस करना और बेहद साफगोई से समाजवादी पार्टी से रिश्ते की तरफदारी करना ये साबित कर रहा है कि बहनजी को 2019 का ख्याल आ रहा है.
ऐसा भी नहीं कि मायावती को अपने इकलौते उम्मीदवार की हार का मलाल ना हो, मलाल तो दिल की गहराइयों तक है. लेकिन समाजवादी पार्टी से रिश्ते के खातिर मायावती ने दिल के दर्द को फिलहाल दफन कर देने को तैयार हो गई है.