
बाजार के इस साल सपाट रहने के बावजूद 96 कंपनियों ने आईपीओ से रिकॉर्ड 1,60,705 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इससे पहले यह रिकॉर्ड 2024 में था। उस समय 91 कंपनियों ने 1,59,783 करोड़ रुपये जुटाए थे। यह आंकड़ा दिसंबर के अंत तक 1.85 लाख करोड़ के करीब पहुंच जाएगा। दिसंबर में 25,000 करोड़ रुपये जुटाने का अनुमान है। एक्सचेंजों के आंकड़ों के मुताबिक, 5 दिसंबर तक कुल 1,60,705 करोड़ रुपये कंपनियों ने जुटाए हैं। छोटी और मझोली कंपनियों के इश्यू को मिला दें तो आंकड़ा 1.68 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। इन कंपनियों ने भी 8,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जुटाई हैं।
14,000 करोड़ अगले हफ्ते जुटाए जाएंगे
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड 11,000 करोड़ जुटाएगी। यह 10 दिसंबर के आस पास बाजार में उतर सकती है। 8 दिसंबर को कोरोना का 655 करोड़ और वेकफिट का 1,289 करोड़ का इश्यू खुलेगा। 10 दिसंबर को नेफ्रोकेयर का 871 करोड़ और पार्कमेडि का 920 करोड़ का आईपीओ आएगा। जुनिपर ग्रीन एनर्जी (3,000 करोड़) भी 10 दिसंबर के करीब उतरेगी। इनके अलावा फ्रैक्टल एनालिटिक्स (4,900 करोड़), क्लीन मैक्स एनवायरो (5,200 करोड़) और इनोवेटिवव्यू इंडिया जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं।
वर्ष इश्यू (संख्या) जुटाई गई रकम (₹ करोड़)
2024 91 1,59,783
2023 57 49,435
2022 40 59,301
2021 63 1,18,723
जनवरी में ये रहेंगी कतार में
नए साल में पीएनजीएस रेवा डायमंड, कनोडिया सीमेंट, कोरोना रेमेडीज, मिल्की मिस्ट, स्काईवेज एयर, अमागी मीडिया लैब्स, वीडा क्लिनिकल, एलसीसी प्रोजेक्ट्स, वाटरवेज लीजर, केएसएच इंटरनेशनल, आर्डी इंजीनियरिंग और सीआईईएल एचआर सर्विसेज और मणिपाल पेमेंट शामिल हैं।
अक्तूबर में सर्वाधिक पैसा जुटाया
कंपनियों ने अक्तूबर में सबसे अधिक 38,308 करोड़ रुपये जुटाए है। नवंबर में मामूली घटकर 34,545 करोड़ और अगस्त में 15,903 करोड़ रहा था। इस साल टाटा कैपिटल ने सबसे अधिक 15,511 करोड़ जुटाया। ग्रो ने 6,632 करोड़, लेंसकार्ट ने 7,278 करोड़, एलजी ने 11,607 करोड़, हेक्सावेयर ने 8,750 करोड़ और एचडीबी फाइनेंशियल ने 12,500 करोड़ रुपये की रकम जुटाई है।
इस साल आईपीओ लाने वाली कंपनियों की बाजार पूंजी 11.65 लाख करोड़ रही है। इससे निवेशकों की संपत्ति 1.68 लाख करोड़ बढ़ी है। इस आधार पर औसत 16.82 प्रतिशत का फायदा मिला। 2024 में आईपीओ वाली कंपनियों की पूंजी 12.86 लाख करोड़ रुपये बढ़ी थी। निवेशकों की संपत्तियां 2.90 लाख करोड़ बढ़ी और औसत फायदा 29.18 फीसदी का मिला। 2023 में 73.90 फीसदी का फायदा मिला था।