
जिला खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने 132 उपभोक्ताओं का ई-राशन कार्ड (पात्रता पर्ची) निरस्त कर दिया है। ये उन लोगों के राशन कार्ड हैं, जिनकी वार्षिक आय छह लाख रुपये से अधिक थी, फिर भी कंट्रोल से राशन लेकर यह लोग गरीब का हक मार रहे थे। अभी प्राप्त आपत्तियों का परीक्षण जारी है, ऐसे में संख्या बढ़ने की उम्मीद है।
खाद्य अधिकारी शालू वर्मा ने बताया कि दो महीने पहले खाद्य विभाग ने सरकारी उचित मूल्य की दुकानों (कंट्रोल) से हर माह मुफ्त राशन लेने वाले उज्जैन जिले के 5629 उपभोक्ताओं को नोटिस जारी किया था। नोटिस में कहा गया था कि आयकर विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार उनकी वार्षिक आय छह लाख रुपये से अधिक है। ऐसे में उनकी पात्रता संदिग्ध है और क्यों न उन्हें जारी पात्रता पर्ची (ई-राशन कार्ड) निरस्त कर दिया जाए। इसमें कुछ उन उपभोक्ताओं के नाम भी थे, जिन्होंने 25 लाख रुपये से अधिक जीएसटी फाइल किया था। नोटिस में उपभोक्ताओं से कहा गया है कि वे 15 दिन के भीतर अपनी आपत्ति प्रस्तुत करें। समय सीमा में जवाब न देने पर पात्रता पर्ची स्वतः निरस्त कर दी जाएगी। इस कार्रवाई से उपभोक्ताओं में चिंता बढ़ गई। उन्होंने ताबड़तोड़ नोटिस का जवाब प्रस्तुत किया।
इन्हें मिलता है मुफ्त राशन
बताया जाता है कि 2 लाख 83 हजार परिवार 787 कंट्रोल दुकानों से हर माह मुफ्त राशन ले रहे, जिसमें प्राथमिक परिवार श्रेणी के हर सदस्य को चार किलो गेहूं और एक किलो चावल मिलता है, जबकि अंत्योदय परिवार के मुखिया को 30 किलो गेहूं, पांच किलो चावल, एक किलो शक्कर और एक किलो नमक दिया जाता है। केवल शकर 20 रुपये किलो ली जाती है, बाकी अनाज निशुल्क है।
कंट्रोल और खाद्य विभाग के कार्यालय पर जमा करवा रहे शपथ पत्र
स्वयं को सही साबित करने के लिए उपभोक्ता विभाग 200 से 300 रुपये के खर्च कर स्टांप खरीदकर उस पर टाइपराइटर से आपत्ति लिखवाने, विभिन्न प्रपत्र (आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र, समग्र आईडी आदि) की प्रतिलिपि और कंट्रोल और जिला विभागीय कार्यालय तक पहुंचा रहे हैं। जबकि वर्तमान में आधार कार्ड से पैन कार्ड, मोबाइल नंबर जुड़ा है तो फिर बेवजह की ये मशक्कत की जा रही है।