वाहनों की प्रदूषण जांच कराने से पहले ठीक से कर लें पता, जानें अब किन केंद्रों का प्रमाण होगा मान्‍य

यदि आप अपने वाहन की प्रदूषण जांच करवाने जा रहे हैं तो जांच केंद्र के बारे में ठीक से पता कर लें। सरकार वाहनों के प्रदूषण जांच को लेकर नियमों में बड़ा परिवर्तन किया है। अब वाहन प्रदूषण की जांच एआरएआइ (ऑटोमोटिव रिसर्च ऑफ इंडिया) से अप्रूव्ड मशीनों से ही मान्य होगी। यह जांच भी डीजल मैकेनिक ही कर सकेंगे जबकि उनके हेल्पर का भी 10वीं पास व तकनीकी रूप से दक्ष होना अनिवार्य है।

डीजल मैकेनिक ही कर सकेंगे प्रदूषण की जांच, हेल्पर का 10वीं पास होना और तकनीकी जानकारी अनिवार्य

इन सभी के बिना वाहन का प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र पुलिस व अन्य प्राधिकरण की ओर से स्वीकार नहीं किया जाएगा। इन मशीनों में दिया गया सॉफ्टवेयर आरसी कार्यालय से कनेक्ट होगा और पूरी व्यवस्था ऑनलाइन रहेगी। यह नए नियम केंद्र सरकार के मोटर यान नियम 1989 के अंर्तगत नए संसोधन के तहत प्रदेश सरकार ने हाल ही में लागू किए है, जिससे पेट्रोल पंपों से लेकर होटल व ढाबों आदि पर भी प्रदूषण जांच केंद्र चला रहे संचालकों में हड़कंप मच गया है। प्रदेश सरकार के इस निर्णय के बाद ट्रांसपोर्ट कमीश्नर ने भी पत्र जारी कर सभी जिलों के आरटीए कम अतिरिक्त उपायुक्त को आदेश जारी कर दिए है।

प्रदेशभर में करीब 1800 प्रदूषण जांच केंद्र

प्रदेशभर में करीब 1800 प्रदूषण जांच केंद्र हैं, जिसमें करनाल जिला में ही 77 केंद्र पंजीकृत हैं। अधिकतर केंद्र जहां पेट्रोल पंपों पर है तो वहीं अनेकों जगह होटल व ढाबों पर भी ये केंद्र चलाए जा रहे हैं। केंद्र संचालकों की मानें तो होटल व ढाबों पर चलाए जा रहे अधिकतर केंद्र अवैध हैं।

खर्च करने होंगे तीन लाख रुपये, छूटे पसीने

एआरएआइ से अप्रूव्ड डीजल व पेट्रोल से संबंधित मशीनों की लागत करीब तीन लाख रुपये है। इन्हें चलाने के लिए पुणे में स्थित मुख्यालय पर ट्रेङ्क्षनग भी लेनी होगी। केंद्र संचालकों को आनन-फानन में यह सब वहन करना आसान नहीं है। ऐसे में अनेकों केंद्र संचालकों ने केंद्र बंद करने की तैयारी कर ली है।

नए नियमों की पालना न करने पर करनाल में आरटीए विभाग ने छापेमारी कर एक दिन में ही 12 प्रदूषण जांच केंद्रों से पुराने ढर्रे की चलाई जा रही मशीनों को जब्त कर लिया तो इनसे संबंधित संचालकों के लाइसेंस रद करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

करनाल में प्रदूषण जांच केंद्र संचालक एसोसिएशन के प्रधान सोनू सिंह का कहना है कि नए प्रावधान के अनुसार मशीने लाना  हर संचालक के लिए संभव नहीं है। लेकिन जो संचालक ये मशीनें व ट्रेनिंग ले लेता है तो उसे उसी आधार पर प्रशासन की ओर से अनुमति लाइसेंस भी दिया जाना चाहिए। इसके लिए करीब दो माह का समय भी दिया जाए, ताकि केंद्र संचालक अपना प्रबंध कर सके। प्रदूषण चेकिंग फीस बढ़ाई जाए तो इसका समय भी तय किया जाए।

आरटीए कम एडीसी अनीश यादव का कहना है कि नए नियमों की पालना करनी होगी। ऐसा न करने पर केंद्र फर्जी माना जाएगा और तत्काल कार्रवाई की जाएगी।

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