
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने कहा है कि आने वाले 40-50 वर्षों में स्वतंत्र विश्व का नेतृत्व अमेरिका से हटकर भारत के प्रधानमंत्री के हाथ में आ सकता है। दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने भारत को 21वीं सदी की वैश्विक महाशक्ति बताया और चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में भारत की अहम भूमिका को रेखांकित किया।
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने कहा कि अगले चार से पांच दशक में स्वंत्रत विश्व के नेता की भूमिका अमेरिका के राष्ट्रपति से हटकर भारत के प्रधानमंत्री के पास आ सकती है। दिल्ली में एक मीडिया समूह के कार्यक्रम में एबॉट ने कहा, 21 सदी भारत की है। उन्होंने दिल्ली से दुनिया की नई महाशक्तियों में से एक और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के लोकतांत्रिक प्रतिपक्ष और ऑस्ट्रेलिया के लिए एक मजबूत, विश्वसनीय साझेदार के रूप में अपनी भूमिका निभाने का आह्वान किया।
एबॉट ने कहा, 2022 में ऑस्ट्रेलिया और पिछले महीने ब्रिटेन के साथ भारत द्वारा किए गए व्यापार समझौते इस बात के संकेत हैं कि लोकतांत्रिक दुनिया चीन से हट रही है। उन्होंने चीन, पाकिस्तान और अमेरिका के साथ भारत के संबंधों का अवलोकन प्रस्तुत किया और कहा कि बीजिंग की दुनिया पर हावी होने की महत्वाकांक्षाओं को रोकने की कुंजी दिल्ली के पास है। एबॉट ने कहा, चीन प्रभुत्वशाली शक्ति बनना चाहता है और यह उसके सभी पड़ोसियों के साथ-साथ विश्व के लिए भी परेशानी का कारण है।
भारत में बुनियादी ढांचे पर जोर दिया जा रहा
एबॉट ने कहा, भारत चीन का प्रतिपक्ष है। यह अब सबसे अधिक आबादी वाला देश है। आप किसी भी भारतीय शहर में जाएं, वहां बुनियादी ढांचे पर जोर दिया जा रहा है। नए हवाईअड्डे बन रहे हैं। भारत आगे बढ़ रहा है और चीन का विकल्प बन सकता है। 21वीं सदी चीन की तरह ही भारत की भी है।
भारत के पास तीन बड़े फायदे
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के पास तीन बड़े फायदे हैं- लोकतंत्र, कानून का शासन और अंग्रेजी भाषा, क्योंकि वह उस आर्थिक और सैन्य उड़ान की तैयारी कर रहा है जो चीन ने कुछ दशक पहले हासिल की थी। प्रधानमंत्री के रूप में मैं कहा करता था कि भारत एक लोकतांत्रिक महाशक्ति के रूप में उभरेगा। खैर, अब ऐसा हो गया है। भारत के प्रधानमंत्री के अगले 40-50 वर्षों में एक स्वतंत्र विश्व का नेता बनने की संभावना है।