अफगानिस्तान में आतंकी संगठन आइएस-के का विस्तार अमेरिका-यूरोप के लिए गंभीर खतरा, UN ने जताई चिंता
संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान में आइएस-के का विस्तार अमेरिका, यूरोप और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बनकर उभर रहा है। अफगानिस्तान एक बार फिर विदेशी आतंकियों का केंद्र बन रहा है।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहा आइएस-के
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को 30 जुलाई को सौंपी गई रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा कि आइएस-के चरमपंथियों की भर्ती और उन्हें कट्टरपंथी बनाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म का उपयोग कर रहा है। रिपोर्ट में समूह की बढ़ती पहुंच और वैश्विक आतंकवादी हमलों को प्रेरित करने की इसकी क्षमता पर चिंता जताई।
गाजा-इजरायल संघर्ष से प्रभावित लोगों को जोड़ा जा रहा
रिपोर्ट में हाल ही में हुई कई आतंकवादी साजिशों को आइएस के दुष्प्रचार से कट्टरपंथी बने लोगों या चल रहे गाजा-इजरायल संघर्ष से प्रभावित लोगों से जोड़ा गया है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि अफगानिस्तान और मध्य एशिया में लौटने वाले विदेशी लड़ाकों की मौजूदगी क्षेत्र को और अस्थिर कर सकती है और आइएस-के के प्रभाव को बढ़ा सकती है।
खामा प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, विशेषज्ञों ने आइएस-के के अभियानों को अंतरराष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं वाला बताया है। साथ ही कहा कि इसने अमेरिकियों पर संभावित हमलों की चेतावनी भी जारी की है।
आइएस-के का बढ़ता नेटवर्क और दुष्प्रचार यूरोप-अमेरिका के लिए खतरा
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने कहा कि आइएस-के का बढ़ता नेटवर्क और दुष्प्रचार यूरोप और अमेरिका के लिए सबसे गंभीर खतरा है। अमेरिकी अधिकारियों ने आगाह किया है कि तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान के आइएस के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बनने का खतरा है। उन्होंने इस समूह को अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर और बढ़ता खतरा बताया है।