भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत का हिन्दू धेम में विशेष महत्व है। इस दिन पूजा-पाठ करने से और व्रत रखने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है और उसे भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
हर माह भवगान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत रखा जाता है। अक्टूबर महीने में यह व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाएगा। इस बार यह व्रत शनिवार के दिन रखा जाएगा। जिस वजह से इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से वर्णित किया गया है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की प्रार्थना करने से और उपवास का पालन करने से भक्तों के सभी पापा दूर हो जाते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस विशेष दिन पर त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। जिसके कारण इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ गया है। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत तिथि और महत्व।
शनि प्रदोष व्रत 2022 तिथि और मुहूर्त
कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ: 22 अक्टूबर 2022 शनिवार को शाम 06:01 से
कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर 2022 को शाम 06:02 तक
प्रदोष व्रत तिथि: 22 अक्टूबर 2022
पूजा का शुभ मुहूर्त: 22 अक्टूबर 2022 शाम 06:01 से रात 08:16 तक
त्रिपुष्कर योग: 22 अक्टूबर 2022 दोपहर 01:51 मिनट से शाम 06:01 बजे तक
शनि प्रदोष व्रत 2022 महत्व
शास्त्रों में बताया गया है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। साथ ही पारिवारिक जीवन में सदैव सुख-समृद्धि बनी रहती है। जो व्यक्ति सच्चे मन से इस व्रत को रखता है उसे संतोष, धन व अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान के बाद भगवान शिव का स्मरण करें और इसके बाद पूजा स्थल की अच्छे से साफ-सफाई करें। इसके बाद प्रदोष व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव की पूजा आरम्भ करें। भगवान शिव को जल अर्पित करें और सफेद फूल, माला, शमी, धतूरा, बेलपत्र, भांग, चीनी, शहद आदि भी चढाएं। चंदन और अक्षत अर्पित करना न भूलें।पूजा के बाद भगवान शिव को पुआ, हलवा या चने का भोग लगाएं और दीपक प्रज्वलित करें। इसके बाद शिव मंत्रों का शुद्ध उच्चारण करें और शिव चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती करें और उसके बाद भोग लगाया हुआ प्रसाद सभी परिवार के सदस्यों में बांट दें।