PM मोदी का IAS अधिकारियों को सलाह, कहा…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को 2020 बैच के IAS अधिकारियों से बात की। पीएम ने उन्हें जिलों में काम करने के दौरान केवल डिजिटल मोट पर निर्भर रहने के बजाए फील्ड पर ज्यादा समय गुजारने की सलाह दी है। साथ ही उन्होंने अधिकारियों को अपनी तैनाती वाली जगह पर ऐसा काम करने की अपील की है, जिससे लोग उन्हें हमेशा याद रखें। पीएम ने अधिकारियों से कहा कि जब भारत आजादी का 100वां वर्ष मनाएगा, तो वह अलग-अलग विभागों के प्रमुख और सचिव बन चुके होंगे। उन्होंने इस बात को ध्यान में रखकर नागरिकों की परेशानियों को समझने की सलाह दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सूत्रों ने युवा अधइकारियों से कहा कि प्रशासक होने के तौर पर उन्हें नागरिकों से ज्यादा से ज्यादा जुड़े रहना चाहिए। नई दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में पीएम मोदी उन 175 अधिकारियों को संबंधित कर रहे थे, जिन्होंने तीन महीनों के लिए 63 मंत्रालयों और विभागों के साथ सहायक सचिव के तौर पर काम किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, ‘पीएम ने कहा कि अधिकारियों को अमृत काल के दौरान देश की सेवा करने और पंच प्रण को साकार करने में मदद करने का अवसर मिला है।’ उन्होंने कहा कि अमृत काल में एक विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति सुनिश्चित करने में अधिकारियों की अहम भूमिका है। उन्होंने लीक से हटकर चिंतन करने और अपने प्रयासों में समग्र दृष्टिकोण अपनाने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस तरह के समग्र दृष्टिकोण के महत्व को प्रदर्शित करने के लिए प्रधानमंत्री गतिशक्ति मास्टर प्लान का उदाहरण दिया।’ संबोधन के दौरान पीएम ने अधिकारियों को राष्ट्र की सेवा के महत्व पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने अपने कर्तव्यों को निभाने के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि ‘राजपथ’ की मानसिकता अब ‘कर्तव्य पथ’ की भावना में बदल गई है। PMO के मुताबिक, ‘इस कार्यक्रम के दौरान सहायक सचिवों द्वारा प्रधानमंत्री को आठ प्रस्तुतियां दी गईं। इन प्रस्तुतियों के विषयों में पोषण ट्रैकर: पोषण अभियान की बेहतर निगरानी के लिए उपकरण; भाषिणी के माध्यम से बहुभाषी ध्वनि आधारित डिजिटल पहुंच को सक्षम करना; कॉर्पोरेट डेटा प्रबंधन; मातृभूमि जियोपोर्टल-शासन के लिए भारत का एकीकृत राष्ट्रीय जियोपोर्टल; सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की पर्यटन क्षमता, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) के माध्यम से डाकघरों का बदलाव करना, रीफ जैसी कृत्रिम संरचनाओं के माध्यम से समुद्रतटीय मत्स्यपालन का विकास; और कंप्रेस्ड बायोगैस- भविष्य के लिए ईंधन शामिल हैं।’  
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