UN की रिपोर्ट पर क्यों भड़का ड्रैगन

चीन में मानवाधिकारों को उल्लंघन को लेकर जारी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट पर ड्रैगन भड़क गया है। चीन ने गुरुवार को कहा कि शिनजियांग क्षेत्र में कथित मानवाधिकारों के हनन की संयुक्त राष्ट्र की एक प्रमुख रिपोर्ट बीजिंग के खिलाफ एक “राजनीतिक टूल” है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने अपनी बहु-प्रतीक्षित रिपोर्ट में कहा है कि चीन के शिनजियांग में उइगर समुदाय के लोगों तथा अन्य को जबरन नजरबंद रखना मानवता के खिलाफ अपराध के दायरे में आ सकता है।

रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने एक नियमित ब्रीफिंग में कहा, “आपके द्वारा बताई गई तथाकथित महत्वपूर्ण रिपोर्ट अमेरिका और कुछ पश्चिमी ताकतों द्वारा पहले से नियोजित और तैयार की गई है, यह पूरी तरह से अवैध और अमान्य है।”

उन्होंने कहा, “रिपोर्ट गलत सूचनाओं का केंद्र है। इसे पश्चिमी देशों ने तैयार किया है। वे शिनजियांग का इस्तेमाल कर चीन को कंट्रोल करना चाहता हैं। यह एक राजनीतिक टूल है।” वांग ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र अधिकार कार्यालय “विकासशील देशों के विशाल बहुमत के खिलाफ अमेरिका और पश्चिम का ठग और सहयोगी” बन गया है। चीन पर वर्षों से शिनजियांग में दस लाख से अधिक उइगरों और अन्य मुसलमानों को हिरासत में लेने का आरोप लगाया जाता रहा है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के बीजिंग के अभियान में यातना देने और अन्य अधिकारों का उल्लंघन करने के आरोपों पर तत्काल अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया देने का आह्वान किया गया है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने रिपोर्ट को रोकने चीन के अनुरोध को खारिज कर दिया। बैचलेट ने मई में शिनजियांग की यात्रा की थी, जिसके बाद यह रिपोर्ट आयी है। चीन का तर्क है कि यह रिपोर्ट उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए पश्चिमी देशों के एक अभियान का हिस्सा है।

इस रिपोर्ट ने क्षेत्र के मूल उइगर और अन्य प्रमुख मुस्लिम जातीय समूहों के अधिकारों पर पश्चिमी देशों के साथ राजनयिक प्रभाव को लेकर रस्साकशी शुरू दी है। पश्चिमी राजनयिकों और संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने कहा कि रिपोर्ट लगभग तैयार थी, लेकिन बैचलेट का चार साल का कार्यकाल पूरा होने से कुछ ही मिनटों पहले इसे जारी किया गया। कई पत्रकारों, स्वतंत्र मानवाधिकार समूहों ने शिनजियांग में वर्षों से मानवाधिकार उल्लंघन पर काफी कुछ लिखा है।

 

E-Paper