महाकवि गोपाल दास नीरज ने दिल्ली के एम्स में ली आखिरी सांस

एंकर– महाकवि गोपाल दास नीरज ने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली, आगरा में तबियत खराब होने पर लोटस अस्पताल में भर्ती कराया गया था,इसके बाद तबियत बिगड़ने पर एम्स में भर्ती कराया गया जहां शाम को सांसे थम गई। हिन्दी कविता और कविसम्मेलनों में जान फूंकने वाले गोपाल दास नीरज का जन्म इटावा के पुरवली गांव में सन् 1925 में हुआ था। छह साल की उम्र में पिता का निधन हो गया था।

1942 में हाई स्कूल करने के बाद इटावा में ही कचहरी में टाइपिस्ट का काम करने लगे,कानपुर के कालेज में क्लर्क का काम किया,नौकरी के साथ बीए और एमए पास किया। मेरठ के कालेज में हिन्दी के प्रवक्ता के रुप में पढ़ाया, यहां से अध्यापन कार्य छोड़ने के बाद अलीगढ़ में धर्म समाज कालेज में हिन्दी विभाग में प्राध्यापक नियुक्त हुए, और यहीं मैरिस रोड पर जनकपुरी  में निवास बना कर रहने लगे।  कविता के साथ नीरज जी को ज्योतिष, अंक शास्त्र व आयुर्वेद का अच्छा ज्ञान रखते थे। पहले भी बीमार पड़े और अस्पताल  में भर्ती हुए तो उन्होंने गीत गुनगुनाना छोड़ नहीं। उनकी आखिरी इच्छा यहीं थी कि कविता पढ़ते हुए ही उनकी जान निकले।

श्रंगार रस की कविता के साथ ही उनके गीतों का दार्शनिक अंदाज लोगों को लुभाता था   उनके चाहने वालों की कमी नहीं है, उनके लिखे गीतों को सुनने के लिए लोग आते रहते थे। सुनील गर्ग पिछले 50 सालों से उनके पास आते रहते थे। और 15 दिन पहले उनका चश्मा बनवा कर दिया था। सुनील ने बताया कि उनके अंदर हिम्मत बहुत थी। बहुत प्यारा स्वभाव था। कवि सम्मेलनों में उनको सुनते रहे हैं। हिन्दी साहित्य के एक युग का अंत हो गया। सुनील ने बताया कि कविता सुनाने का अंदाज सबसे अलग है।

हार्डवेयर कारोबारी गोपाल शर्मा ने बताया कि वे अच्छे कवि के साथ अच्छे स्वभाव के व्यक्ति थे। गोपाल ने बताया कि वे ज्योतिष के अच्छे जानकार थे , और जब 92 साल के थे तो कह दिया था कि दो साल से ज्यादा नहीं रहेंगे। शरीर उनका बूढ़ा हो गया था लेकिन कवि सम्मेलनों के मंच पर उनकी आवाज गरजती थी। गोपाल ने बताया कि उनकी कविता की गर्जना काबिले तारीफ थी। उन्होंने कहा कि अब उनकी गर्जना नहीं सुन पाएंगे , इस बात का दुख हैं। गोपाल ने बताया कि होली के गीत बहुत पसंद करते थे। लेकिन इसके साथ आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं गीत हमेशा गुनगुनाया करते थे।  नीरज जी के नाती ने बताया कि सुबह तबियत सही थी, लेकिन शाम को बिगड़ गई। उत्कर्ष ने बताया कि पहले शव को आगरा ले जाया जाएगा , फिर अलीगढ़ लाया जाएगा।  

बाइट–उत्कृस्त–नाती 
बाइट–सुनील बंसल –पड़ोसी 
बाइट–गोपाल –किरायेदार   ​
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