चुनावी दंगल में महिलाओं की सबसे ज्यादा भागीदारी, 15 राजनीतिक पार्टियों ने 370 सीटों पर महिलाओं को बनाया प्रत्याशी
- बढ़ रही है आधी आबादी की सहभागिता, 2010 के विधानसभा चुनाव के बाद महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से लगातार आगे रहा है
पटना: बिहार की राजनीति में महिलाएं सक्रिय भूमिका निभा रही हैं. और अपनी दमदार उपस्थिति भी दर्ज करा रही हैं अब बात चाहे प्रत्याशी की हो या मतदाता की. अब इस बदलाव को लोग पंचायती राज में मिले 50% आरक्षण से भी जोड़ने लगे हैं.महिलाओं की ये भागीदारी को इस बार विधान सभा चुनाव में भी देखने को मिली है जहां महिलाएं प्रतिनिधित्व के मोर्चे पर भी आगे दिखीं और चुनाव दर चुनाव मैदान भी उनकी संख्या बढ़ती दिख रही है सबसे खास बात ये है कि सिर्फ भागीदारी हीं नही महिलाएं राजनीति में अपनी पहचान के साथ जीत बी दर्ज करा रही हैं,साथ हीं महिलाओं की जागरुकता की मिशाल ये है कि मतदान प्रतिशत में भी पुरुषों से आगे हैं
महिलाएं. पिछले दो चुनावों में महिलाओं के वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ है इसका असर इस चुनाव में कुछ ऐसे दिखा कि दूसरे चरण के मतदान में 94 सीटों में से 74 सीटों पर महिलाओं के मतदान का प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा रहा. कल के मतदान में भी कमोबेस यही नजारा दिखा और शायद कारण है कि तमाम प्रमुख राजनीतिक दलों ने महिला प्रत्याशियों को तवज्जो देना शुरु कर दिया है और महिलाओं की भागीदारी बढ़ती जा रही है इस चुनाव की बात करें तो 15 पार्टियों ने 370 महिलाओं को चुनावी दंगल में उतारा है. पिछले 2015 के चुनाव में महिलाओं की संख्या 273 थी जिनमें 28 महिलाओं ने जीत हासिल की थी वहीं 2010 में चुनावी मैदान में 307 महिलाएं थीं जिनमें 34 ने जीत हासिल कर सदन में अपनी जगह बनाई थी. इस बार का भी आकलन यही कहता है कि बड़ी संख्या में आधी आबादी अपनी जीत दर्ज करा सदन का रुख इख्तियार करेंगी
इस चुनाव में किस दल ने कितनी महिलाओं को दिया टिकट
बिहार विधान सभा चुनाव में इस बार के चुनाव की बात करें तो सबसे ज्यादा महिलाओं को टिकट देने में जेडीयू नंबर वन पर है जेडीयू ने 22 महिलाओं को चुनावी दंगल में उतारा है वहीं बीजेपी ने 13 तो वीआईपी ने 1 हम ने 1 कांग्रेस ने 7 आरजेडी ने 16 माले ने 1 एआईएमआईएम 3 एनसीपी ने 4 जाप ने 12 तो एलजेपी ने 23 आरएलएसपी ने 10 प्लूरल्स में 15 बीएसपी ने 8 शिवसेना ने 1 महिला प्रत्याशी को टिकट दिया है तो निर्दलीय 2 महिलाओं ने चुनाव में अपनी भागीदारी दर्ज कराई है.
1972 का विधान सभा चुनाव जब एक भी महिला नही पहुंची थी सदन
आज के इस दौर में आधी आबादी का बढ़ता वर्चस्व उस दौर की याद दिलाता है जब 1972 के चुनाव में 318 सीटों पर 45 महिलाएं मैदान में थी पर एक भी सीट आधी आबादी के हिस्से नही आ पाई थी और एक भी महिला सदन नही पहुंच पायी थीं हालांकि उससे पहले 1952, 1957, 1962, 1967 और 1969 के चुनाव में महिलाओं ने सदन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में पूरी भूमिका निभाई थी लेकिन चूंकि 1972 में जनता को 5 सालों में तीसरी बार चुनाव का सामना करना पड़ा था और 318 सीटों के लिए हुए इस चुनाव में 244 सीटें सामान्य वर्ग के लिए 45 सीट एसी के लिए 29 सीटें एसटी के लिए आरक्षित थी और इन 318 सीटों में 55 सीटों पर महिला प्रत्याशियों ने नामांकन किया था मगर 45 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा जिनमें 28 की जमानत जप्त हो गई थी और 17 महिलाएं जमानत बचाने में सफल रही लेकिन सदन तक कोई भी महिला नहीं पहुंच पाई थी.