क्यों रखा जाता है हरियाली तीज का व्रत जानिए,शिव को पाने के लिए पार्वती ने लिए थे 108 जन्म

हिन्दू धर्म में हरियाली तीज का पर्व अपना अहम स्थान रखता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती है और भगवान शिव एवं माता पार्वती का पूजन किया जाता है। आइए जानते हैं कि आखिर महिलाएं यह व्रत क्यों रखती हैं और इससे जुड़ीं पौराणिक कथाएं कौन-सी है ?

हरियाली तीज की एक प्रचलित कथा के मुताबिक़, शिव जी द्वारा माता पार्वती को उनके पिछले जन्मों के स्मरण के लिए यह कथा सुनाई गई थी। शिव जी माता से कहते हैं कि मुझे पति रूप में पाने के लिए तुमने 107 बार जन्म लिया था। लेकिन 108वें जन्म में तुम ऐसा करने में सफल हुई। शिव जी माता से कहते हैं कि तुम्हारा 108वां जन्म पर्वतराज हिमालय के घर हुआ था। इस जन्म में तुमने मेरी प्राप्ति के लिए कड़ी तपस्या की। तुमने मुझे पाने के लिए अन्न-जल का त्याग तक कर दिया और सिर्फ पत्तों पर तुम जीवित रही। हर मौसम में तुम अपने संकल्प पर डटीं रहीं। इससे तुम्हारे पिता हिमालय पीड़ा में रहते थे और एक दिन नारद तुम्हारे घर पहुंचे और उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु ने उन्हें यहां भेजा है। तब विष्णु जी के दूत के रूप में माता पार्वती के पिता हिमालय से नारद जी ने कहा कि प्रभु ने पार्वती जी से विवाह का प्रस्ताव भेजा है।

विष्णु जी माता की भक्ति से काफी प्रसन्न थे और माता पार्वती के पिता भी उनका विवाह विष्णु जी के साथ करना चाहते थे, हालांकि जब यह ख़बर माता पार्वती को लगी तो उन्हें इससे कष्ट पहुंचा। शिव जी ने आगे कहा कि तुमने यह बात अपनी सखी को कही और उसने तुम्हे घने जंगल में छिपा दिया। जहां तुमने रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी पूजा की। वहीं एक और तुम्हारे पिता तुम्हें तलाशते रहे, परन्तु तुम मेरी भक्ति में लीन होने के कारण उनके हाथ नहीं लग सकी।

शिव जी ने माता पार्वती से आगे कहा कि तुम्हारी यह भक्ति देखकर मैं अति प्रसन्न हो गया और फिर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की। तुम्हारी खोज में तुम्हारे पिता जब गुफा में पहुंचे तब उस समय तुमने अपने पिता से अपने मन की बात कही। जिसमें तुमने कहा कि मैंने शिव जी को पति के रूप में चुन लिया है। अतः अब मैं आपके साथ केवल एक ही शर्त पर जाउंगी और वह शर्त यह है कि आप सहमति से मेरा विवाह शिव जी के साथ कराए। इस पर माता पार्वती के पिता मान गए और फिर शिव-पार्वती का विवाह हुआ। बता दें कि हरियाली तीज के ही दिन शिव जी ने माता पार्वती को यह कथा सुनाई थी।

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