दिल्ली से वाराणासी के बीच महामना एक्सप्रेस में भोपाल में दौड़ रहे तैयार किए गए कोच…

भोपाल के गैस पीड़ितों को रोजगार देने के मकसद से शुरू की गई हमारी निशातपुरा रेलवे कोच फैक्ट्री (सवारी डिब्बा पुन: निर्माण कारखाना) ने 29 साल में भारतीय रेलवे को 12 हजार पुराने कोच नए सिरे से बनाकर दिए हैं। इन कोचों में रोजाना करोड़ों यात्री सफर कर रहे हैं। भोपाल में पुन: निर्माण किए अच्छे दर्जे की यात्री सुविधा वाले कोचों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान भी खींचा है। यही वजह है कि दिल्ली से वाराणासी के बीच महामना एक्सप्रेस में भोपाल में तैयार किए गए कोच दौड़ रहे हैं। इस ट्रेन को खुद प्रधानमंत्री ने हरी झंडी दिखाई थी। कोच फैक्टरी में दो हजार 350 रेलकर्मचारी कोच बनाने में जुटे हैं। वर्ष 1982 में भोपाल में दुनिया का बड़ा गैस कांड हुआ। हजारों लोगों ने अपनी जानें गंवाईं। परिवार बिखर गए। लोग आर्थिक-सामाजिक संकट से गुजर रहे थे, तब भोपाल में रोजगार के अवसर पैदा करने की जरुरत पड़ी।

तब इस बात को रेल राज्य मंत्री माधवराव सिंधिया (निधन हो चुका है) व तत्कालीन केंद्र सरकार ने महसूस किया था और 1989 में भोपाल के निशातपुरा क्षेत्र में खाली 401.03 एकड़ जमीन पर फैक्ट्री की नींव रखी गई। फैक्ट्री का नाम सवारी डिब्बा पुन: निर्माण कारखाना पड़ा। शुरुआत में सालना क्षमता 300 कोच पुन: निर्माण (12 साल तक चल चुके नए कोच को नए सिरे से बनाना) करने की रखी गई। समय के साथ यह क्षमता 500, फिर 600 और अब 750 कोच सालना तैयार करने की है।

नई-नई तकनीकी के साथ साल में 600 कोच तैयार किए जा रहे हैं। फैक्ट्री प्रबंधन जुलाई 2019 तक 12 हजार कोच रिलीज कर चुका है। 100 से ज्यादा कोच पुन: निर्माण की प्रक्रिया में है। इसी बीच फैक्ट्री को एलएचबी कोच (जर्मन कंपनी लिंक हॉफमैन बुश के सहयोग से बनाए जाने वाले आधुनिक सुविधा वाले कोच) पुन: निर्माण के लिए अपग्रेड किया जा रहा है। यह काम तेजी से चल रहा है। फैक्ट्री का सालना बजट 360 करोड़ रुपए है।

फैक्ट्री प्रबंधन व कर्मचारी भारतीय रेलवे को ज्यादा से ज्यादा गुणवत्तापूर्ण, सेफ्टी से जुड़ा सुरक्षित आउटपुट देने का प्रयास कर रहे हैं। यही वजह है कि फैक्ट्री को कई सफलताएं मिली है। – मनीष अग्रवाल, मुख्य कारखाना प्रबंधक, सवारी डिब्बा पुन:निर्माण कारखाना

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