केवल महिलाओं के लिए आरक्षित विशेष कोच अब शुरुआत या आखिर में लगाने के बजाय ट्रेन के बीच में लगाए जाएंगे और इन्हें अन्य डिब्बों से अलग रंग में रंगा जाएगा, जिससे इन्हें पहचानने में महिलाओं को आसानी होगी।
रेल मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि महिलाओं से जुड़ाव की विश्व मान्यता के तहत इन कोच का रंग गुलाबी रखे जाने की संभावना है। हालांकि रंग पर अभी निर्णय होना बाकी है।
रेल मंत्रालय के सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि ट्रेन में किनारे पर लगने वाले कोच अमूमन स्टेशन के अंधेरे हिस्से में रहते हैं और इस कारण सुरक्षा के पहलू से महिलाएं उनमें चढ़ने से झिझकती हैं। इस कारण इन कोच को बीच में लगाए जाने का निर्णय किया जा रहा है।
इन कोच की खिड़कियों में अतिरिक्त व्यवस्था के तौर पर तार वाली जाली लगाए जाने की भी योजना है। ऐसा उपनगरीय ट्रेनों में तो किया ही जाएगा, साथ ही लंबी दूरी की ट्रेनों में भी ये व्यवस्था की जाएगी। ये वर्ष 2018 को महिला सुरक्षा वर्ष घोषित किए जाने की राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर की योजना का हिस्सा है।
सूत्रों ने बताया कि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी, सदस्य (ट्रैफिक) मोहम्मद जमशेद और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति ट्रेनों में महिलाओं की यात्रा को सुरक्षित व भयमुक्त बनाने के लिए बनी योजनाओं के लागू करने की निगरानी करने के लिए बनाई गई है, जो महिला कोच को बीच में लाने के संबंध में नीतिगत निर्णय ले चुकी है। हालांकि अभी इसे अंतिम रूप देने के लिए सभी रेलवे जोन से भी सुझाव मांगे गए हैं।
3 साल में 100 हो जाएंगे केवल महिला स्टाफ वाले स्टेशन
सूत्रों ने ये भी बताया कि कमेटी ने अगले 3 साल में सिर्फ महिला स्टाफ के जरिए संचालित किए जाने वाले स्टेशनों की संख्या वर्तमान के 3 स्टेशन से बढ़ाकर 100 करने की योजना बनाई है। इसके लिए हर जोन के जनरल मैनेजर को 10 स्टेशन चिह्नित करने के निर्देश दिए गए हैं।
ये भी होगा महिला सुरक्षा का हिस्सा
– विशेष महिला कोच में लगेंगे सीसीटीवी कैमरे
– इन कोच की टीटीई व रेलवे पुलिस का आधा स्टाफ महिलाओं को होगा
– ट्रेनों में महिलाओं के लिए अलग से टॉयलेट व चेंजिंग रूम भी बनाए जाएंगे
महिला दैनिक यात्रियों से मांगे जाएंगे सुझाव
पश्चिमी रेलवे के नेटवर्क में दैनिक यात्री के तौर पर महिला कोच में सफर करने वाली महिलाएं जोन और उसकी सुविधाओं के बारे में अब रिपोर्ट कार्ड जारी करेंगी।
पश्चिम रेलवे के प्रवक्ता रविंदर भाकर ने शुक्रवार को कहा, 5 मई 1992 को मुंबई के चर्चगेट से बोरीवली के बीच चलाई गई पहले महिला स्पेशल उपनगरीय लोकल ट्रेन के 26 साल पूरा होने के मौके पर ये कदम उठाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि महिला दैनिक यात्रियों को इसके लिए एक फीडबैक फॉर्म बांटा गया है।
पश्चिम रेलवे दे चुका है टॉक-बैक सिस्टम
महिला यात्रियों की सुरक्षा के लिए पिछले साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पश्चिम रेलवे ने विशेष महिला कोच में टॉक-बैक सिस्टम शुरू किया था। इसके जरिए किसी इमरजेंसी की स्थिति में महिला कोच की यात्री ट्रेन पर मौजूद गार्ड के साथ मात्र एक बटन दबाकर बात कर सकती है।