मध्यप्रदेश चुनाव 2018: इस बार सरकार बनाने में होगा महिला वोटरों का बड़ा हाथ

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में हुए 75 फीसदी से ज्यादा मतदान को भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपने पक्ष में बता रहे हैं। जहां एक ओर ग्रामीण इलाकों में बढे़ मतदान प्रतिशत को कांग्रेस बदलाव का संकेत मान रही है वहीं भाजपा के उत्साहित कार्यकर्ता इसे आरएसएस का इफेक्ट मान रहे हैं। भाजपा के इन कार्यकर्ताओं की मानें तो 2013 में भी मतदान प्रतिशत में लगभग ढाई प्रतिशत का इजाफा हुआ था और भाजपा को प्रचंड जनादेश मिला था। 

50 सीटों पर महिलाओं का मतदान प्रतिशत ज्यादा

इस बार महिलाओं ने मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आयोग के आंकड़ों की माने तो महिला मतदाताओं के मतदान प्रतिशत में 3.75% का इजाफा हुआ है। लगभग 50 ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं जहां महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा है।  कई विधानसभा क्षेत्रों में तो यह वृद्धि 10 से 12 फीसदी तक है। 116 विधानसभा सीटों पर महिला मतदाताओं के मतदान प्रतिशत में 4% का इजाफा हुआ। 

मामा के नाम से जाने जाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज ने इन चुनावों में छात्राओं को स्कूटी का वादा करके लुभाने का प्रयास किया। अगस्त में भी रक्षाबंधन के अवसर पर शिवराज ने सोशल मीडिया और फोन के माध्यम से पांच लाख महिलाओं से संवाद किया था। कांग्रेस ने घरेलू गैस की बढ़ती कीमतों को लेकर भाजपा को घेरा। 

सीहोर, छिंदवाड़ा, नीमच, आगर-मालवा और राजगढ़ में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 82% तक रहा। महिलाओं के मतदान प्रतिशत में यह बढ़ोतरी किसी का भी खेल बना और बिगाड़ सकती है।

भाजपा ने बताया अपने हक में 

भाजपा ने इस बार बढ़े हुए मतदान प्रतिशत को पार्टी के हक में बताया है। पार्टी ने कहा कि जो ढाई प्रतिशत मतदान बढ़ा है वह भाजपा सरकारों की नीतियों और योजनाओं को स्पष्ट समर्थन है और भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव (165) से भी अधिक सीटें जीतने जा रही है। 

मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा कि हमारे व्यावहारिक आकलन के सामने कोई भी आकलन टिकता नहीं है और हमने देखा है कि मतदाताओं में और विशेषकर युवाओं, महिलाओं और नए मतदाताओं में भाजपा के प्रति विशेष स्नेह उमड़ रहा था। इस बार 40 लाख नए मतदाताओं ने वोट डाला और वह वोट हमारा वोट था। 

बहरहाल, बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत क्या कहता है इसका खुलासा तो परिणाम वाले दिन 11 दिसंबर को ही होगा। 

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