जिंदा बालिका को डॉक्टर ने मृत बताया, परिजन ने हिलाया तो खड़ी हो गई

गुरुवार को सीढ़ियों से गिरने पर घायल हुई चार साल की बालिका को गंभीर अवस्था में परिजन जिला अस्पताल लेकर पहुंचे तो ड्यूटी डॉक्टर ने पहले तो हाथ की नब्ज देख बालिका को मृत बता दिया। इस पर परिजन घबरा गए और बाल अस्पताल पहुंचे, इस दौरान बालिका के शरीर को हिलाया तो वह खड़ी होकर नानी के गले से लिपट गई।

इस लापरवाही से बालिका के परिजनों में जमकर गुस्सा दिखा। इसी तरह एक सात वर्षीय बालक को परिजन बाल अस्पताल लेकर पहुंचे तो इमरजेंसी ड्यूटी डॉक्टर नदारद मिले, मदर एंड चाइल्ड हॉस्पिटल (एमसीएच) में भी डॉक्टरों की गैरमौजूदगी से आक्रोशित परिजन ने एमसीएच में शीशे फोड़ दिए। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने परिजन को शांत कराया। शिकायत मिलने पर डिप्टी कलेक्टर ने शुक्रवार को अस्पताल का निरीक्षण किया।

गुरुवार रात करीब आठ बजे मिडटाउन सिटी में चार वर्षीय बालिका अनविका पिता सुधांशू तिवारी घर में खेलते-खेलते सीढ़ियों से गिर गई। चेहरे पर चोट आने पर परिजन उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। परिजन का आरोप है कि ड्यूटी डॉ. शैलेंद्र माथुर से उपचार कराने के बाद उन्होंने मीडियाकर्मी परिजन स्वदेश शर्मा से बालिका के निधन होने की बात कही। मीडियाकर्मी शर्मा परिजन के साथ बालिका को लेकर बाल अस्पताल पहुंचे। परिजन ने बालिका को झकझोरा तो वह खड़ी होकर नानी की गोद में चढ़ गई। परिजन का आरोप है कि ड्यूटी डॉक्टर की लापरवाही के चलते उनका पूरा परिवार सदमें में चला गया था। बाल अस्पताल में डॉक्टर नहीं होने पर नर्सों से उपचार करवाकर वह उसे घर लेकर गए।

शुक्रवार सुबह मामले में डिप्टी कलेक्टर कामिनी ठाकुर जिला अस्पताल पहुंची। आरएमओ कार्यालय पहुंच हाजरी नहीं लगाने वाले करीब एक दर्जन कर्मचारियों की उपस्थिति रजिस्टर में अनुपस्थिति दर्ज कर व इमरजेंसी वार्ड पहुंची। यहां पर भर्ती घायल के परिजन से उपचार के संबंध में जानकारी लेने पर उन्हें पता चला कि बीती रात ड्यूटी डॉक्टर सहित स्टाफ नर्स वार्ड में मौजूद नहीं थी। इस कारण उन्हें दूसरे वार्डों में भटकना पड़ा और नर्सों की सहायता लेना पड़ी। मामले की गंभीरता पर डिप्टी कलेक्टर ने सिविल सर्जन कक्ष में डॉ. आनंद चंदेलकर से करीब पौन घंटे चर्चा की।

कार्यक्रम में बेहोश हुआ सात वर्षीय बालक

गुरुवार शाम करीब 7.30 बजे अर्जुननगर निवासी रेहान खान (7) एक कार्यक्रम में खेलते-खेलते अचेत हो गया। घबराए परिजन उसे लेकर सीधे बाल अस्पताल पहुंचे। बाल अस्पताल में इमरजेंसी ड्यूटी डॉक्टर नहीं मिलने पर स्टाफ नर्सों ने परिजन को एमसीएच जाने के लिए कहा। परिजन एमसीएच पहुंचे और डॉक्टर से उपचार कराने की गुहार स्टाफकर्मियों से करने लगे तो पता चला कि डॉक्टर नहीं है। इस पर आक्रोशित परिजन भड़क गए और उन्होंने कर्मचारियों के समक्ष जिम्मेदार प्रशासन के खिलाफ नाराजी जताते हुए एमसीएच के लेबर रूम का कांच फोड़ दिया। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और परिजन की व्यथा से वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया। मौके पर पहुंच डॉक्टर ने उपचार किया। इसके बाद मामला शांत हुआ।

गुरुवार रात बाल अस्पताल में ड्यूटी डॉक्टर तबीयत खराब होने पर रिलीवर के आए बगैर अस्पताल से चले गए थे। इसी प्रकार जिंदा बच्ची को मृत घोषित करने की भी शिकायत मिली है। शिकायतों के आधार पर जिम्मेदार डॉक्टरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगेंगे। जवाब संतोषप्रद नहीं होने पर आगे कार्रवाई की जाएगी।- डॉ. आनंद चंदेलकर, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल रतलाम

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