डायबिटीज और हार्ट डिजीज की वजह बन रहा है बच्चों में मोटापा

बच्चों में बढ़ता मोटापा आज के समय की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर 10 में से एक बच्चा मोटापे का शिकार है। मोटापा सिर्फ शारीरिक बनावट का मामला नहीं है, बल्कि एक ऐसी मेडिकल कंडीशन है, जो बच्चे के वर्तमान और भविष्य दोनों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है। अनहेल्दी खानपान, फिजिकल एक्टिविटी की कमी और बदलती लाइफस्टाइल जैसे कारणों से मोटापा तेजी से बढ़ रहा है। आइए जानते हैं कि बच्चों में मोटापा क्यों खतरनाक है और इससे बचाव के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए। मोटापे की वजह से होने वाली समस्याएं टाइप 2 डायबिटीज- पहले यह बीमारी वयस्कों में होती थी, लेकिन अब मोटापे के कारण बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। हार्ट डिजीज- हाई ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल बढ़ना और दिल से जुड़ी समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है। जोड़ों में दर्द- ज्यादा वजन के कारण घुटनों और कूल्हों के जोड़ों पर दबाव पड़ता है, जिससे दर्द और चलने-फिरने में तकलीफ हो सकती है। सांस लेने में तकलीफ- अस्थमा और नींद में सांस रुकने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। आत्मविश्वास में कमी- मोटे बच्चों का अक्सर साथियों मजाक उड़ाते हैं, जिससे उनका सेल्फ कॉन्फिडेंस कम होता है और वे खुद को अलग-थलग महसूस करने लगते हैं। डिप्रेशन और एंग्जायटी- मोटापे के कारण बच्चे तनाव, एंग्जायटी और डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं। मोटापे से बचने के लिए क्या करना चाहिए? हेल्दी डाइट लें- बच्चों के खान-पान पर खास ध्यान दें। उनकी डाइट में ताजे फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज, दालें और दूध व दही जैसे पौष्टिक चीजें शामिल करें। जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक, चिप्स, केक और ज्यादा मीठी चीजों से परहेज जरूरी है। नियमित एक्सरसाइज- बच्चों को कम से कम एक घंटे की एक्सरसाइज के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें बाहर खेलने, साइकिल चलाने या किसी स्पोर्ट एक्टिविटी में भाग लेने के लिए कहें। टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर के सामने बिताए जाने वाले समय को सीमित करें। परिवार की एक्टिव भूमिका- बच्चे वही करते हैं जो वे देखते हैं। इसलिए, पूरे परिवार को एक साथ हेल्दी खाना खाना चाहिए और फिजिकल एक्टिविटीज में भाग लेना चाहिए। परिवार के साथ बिताए गए समय में पार्क जाना या सैर करना शामिल करें। पूरी नींद- यह तय करें कि बच्चे पूरी और अच्छी नींद लें। नींद की कमी भी मोटापे का एक कारण बन सकती है। नियमित हेल्थ चेकअप- बच्चे का नियमित रूप से वजन और लंबाई चेक करते रहें। यदि कोई समस्या नजर आए, तो डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।
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