
11 साल की उम्र से पहले पीरियड शुरू होने वाली लड़कियों या 21 साल से पहले मां बनने वाली युवतियों में टाइप 2 डायबिटीज, हार्ट फेलियर और मोटापे का खतरा लगभग दोगुना हो जाता है। इसके साथ ही गंभीर पाचन संबंधी बीमारियों का खतरा चार गुना तक बढ़ जाता है।
ये कोई मान्यता या अंदाजा नहीं है बल्कि हाल ही में हुए एक अध्ययन में ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। अमेरिका के बक इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन एजिंग के शोधकर्ताओं ने इसका खुलासा किया है। रिसर्च में यह भी बताया गया है कि अगर देर से बच्चे पैदा किए जाएं तो उम्र लंबी हो सकती है और कई बीमारियों का खतरा भी कम हो सकता है। इनमें टाइप 2 डायबिटीज और अल्जाइमर जैसी बीमारियां शामिल हैं।
कई बीमारियों का बढ़ जाता है खतरा
इस बारे में शोधकर्ता प्रोफेसर पंकज कपाही ने कहा कि हमने ये दिखाया है कि जल्दी प्रजनन को बढ़ावा देने वाले जीन (आनुवांशिक कारक) बाद में बड़ी कीमत चुकवाते हैं। इनमें तेजी से उम्र बढ़ना और कई बीमारियों का खतरा शामिल है। उन्होंने कहा कि इस रिसर्च का पब्लिक की हेल्थ पर बहुत बड़ा असर हो सकता है क्योंकि ये सभी रिस्क फैक्टर, चाहे पॉजिटिव हों या नेगेटिव, उम्र से जुड़ी बीमारियों पर सीधा असर डालते हैं।
ई-लाइफ जर्नल में प्रकाशित की गई है रिसर्च
आपको बता दें कि इस रिसर्च को जर्नल ई-लाइफ में प्रकाशित किया गया है। इसमें लगभग दो लाख महिलाओं पर सर्वे किया गया। साथ ही 126 ऐसे जीन मार्कर (आनुवांशिक मार्कर) की पहचान की गई जो जल्दी प्रजनन और प्रसव के असर को उम्र पर प्रभावित करते हैं।
मेटाबॉलिक डिजीज का बढ़ जाता है खतरा
प्रोफेसर कपाही ने बताया कि जल्दी प्रजनन हाई बीएमआई बढ़ाता है और यही मेटाबॉलिक बीमारियों का खतरा भी बढ़ाता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई यह सोचे कि शरीर में पोषक तत्वों को ज्यादा अवशोषित करने की क्षमता बच्चों के लिए अच्छी होगी, तो ये सही है।
लाइफस्टाइल में जरूर करें बदलाव
लेकिन अगर ये पोषक तत्व पहले से ही भरपूर मात्रा में हों, तो यही क्षमता आगे चलकर मोटापा और डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकती है। अंत में उन्होंने यह भी जोड़ा कि जीवनशैली में बदलाव, समय-समय पर मेटाबॉलिक जांच और सही खानपान महिलाओं के लंबे समय तक अच्छे स्वास्थ्य में मदद कर सकते हैं।