रसायन उद्योग को गति देने के लिए नीति आयोग का रोडमैप, 2030 तक नेट जीरो आयात का लक्ष्य
भारत का रसायन उद्योग में मजबूत वृद्धि की संभावनाएं बन रही हैं। इसे समर्थन देने किए भारत सरकार की नीति आयोग ने सात प्रमुख नीतिगत हस्तक्षेपों की सिफारिश की है। इसका उद्देश्य वैश्विक रसायन मूल्य श्रृंखला में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना है।
नीति आयोग की रिपोर्ट
नीति आयोग की जुलाई 2025 की रिपोर्ट “पावरिंग इंडियाज पार्टिसिपेशन इन ग्लोबल वैल्यू चैंस” के अनुसार भारत वैश्विक रसायन खपत में लगभग 3 से 3.5 प्रतिशत का योगदान करता है। इसे 2030 तक 5 से 6 प्रतिशत और 2040 तक 10 से 12 प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य है।
आयात पर निर्भरता है कि बड़ी चुनौती
रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक रसायन बाजार में भारत की उपस्थिति लगातार बढ़ रही है। इस क्षेत्र में विकास के मजबूत आधार मौजूद हैं। हालांकि एक बड़ी चुनौती को भी रेखांकित किया गया है। देश अब भी रसायनों का शुद्ध आयातक है और इसका व्यापार घाटा लगभग 31 अरब डॉलर है। आयात पर यह भारी निर्भरता घरेलू उत्पादन क्षमताओं की कमी को दर्शाता है।
नीति आयोग का मानना है कि भारत इन चुनौतियों को दूर करके 2030 तक नेट जीरो इंपोर्टर बनने की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
सात रणनीतिक हस्तक्षेप
बुनियादी ढांचे का विकास, खासतौर पर रसायन उद्योग के लिए बंदरगार सुविधाओं को उन्नत करना शामिल है।
रासायनिक निर्माताओं को समर्थन देने के लिए ऑपेक्स सब्सिडी जैसे उत्पादन आधारित प्रोत्साहन देना।
लक्षित नवाचारों के लिए एक समर्पित अनुसंधान एवं विकास निधी फंड की स्थापना करना।
मुक्त व्यापार समझौते को संशोधित करके अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने का सुझाव दिया गया, ताकि रसायन उद्योग को लाभ हो।
कारोबार को सुगम बनाना, इसमें पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखते हुए पर्यावरणीय मंजूरी जैसे प्रक्रियाओं को सरल बनाना शामिल है।
उद्योग की जरूरतों के अनुरूप कार्यबल प्रशिक्षण के माध्यम से प्रतिभा और कौशल उन्नयन की आवश्यकता पर बल देना।
संस्थागत सुधार, विभिन्न सरकारी विभागों और एजेंसियों में नियामक प्रक्रियाओं को सुचारू बनाना।