
जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी करने के बाद इसका परिवहन नहीं हो सका तो खरीदी केंद्रों के बाहर ही इसे रख दिया गया था। बारिश जब हुई तो यह गेहूं भीग गया था। बारिश से बचाने के लिए गेहूं के ऊपर तिरपाल बिछाई गई लेकिन तब तक काफी गेहूं भीग गया था। अब जो गेहूं बाहर रखा था वह सड़ तो रहा ही है अब उगने भी लगा है। जिले में आष्टा, श्यामपुर, इछावर, दोराहा, चरनाल सहित कई जगह खुले में गेहूं रखा हुआ है।
समर्थन मूल्य पर खरीदा गया। हजारों क्विंटल गेहूं आज भी खुले में पड़ा है। इसे बाहर रखा है। ऐसे में बारिश से यह पूरा गेहूं कुछ दिन पहले भीग गया था। अब तो हालत यह है कि जो गेहूं बाहर रखा था वह उगने की अवस्था में तो कई जगह सड़ने लगा है। कई जगह खेतों में अब गेहूं भीग जाने के बाद फिर से उगने लगा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस पर ध्यान ही नहीं दिया गया। जिससे यह समस्या हो गई है।
अभी तक कई खरीदी केंद्रों के बाहर गेहूं पड़ा है। अभी भी पूरा गेहूं नहीं उठाया जा सकता है। लोगों का कहना है कि पहले तो इसके लिए प्लान नहीं बनाया गया। नहीं तो इस तरह की स्थिति नहीं बनती। अब में खेतों खुले में पड़ा यह गेहूं उगने लगा है। यदि इसे शीघ्र न हीं उठाया गया तो पूरा गेहूं बर्बाद हो जाएगा।
खुले में रखा है 25 हजार मीट्रिक टन गेहूं
जिले की बात करें तो अभी भी खुले में 25 हजार मीट्रिक टन गेहूं रखा हुआ है। इसका परिवहन अभी तक नहीं हो सका है। इन दिनों बारिश शुरू हो चुकी है। ऐसे में अब प्रशासन परिवहन की व्यवस्था करने के दावे कर रहा है। प्रशासन ने इसमें से कुछ गेहूं गोदामों तक भेजा है, लेकिन फिर बारिश शुरु होने के कारण परिवहन रोकना पड़ा। गेहूं खरीदी बंद हुए करीब 15 दिन हो चुके हैं। इसके बाद भी इसका परिवहन नहीं हो सका है।
ऐसे में तुलाई केंद्रों के बाहर रखा यह गेहूं बारिश का पानी लगने के कारण खराब हो गया। जो गेहूं बिना बोरियों में खुले में पड़ा था। उसे ढंकने की किसी प्रकार से कोई व्यवस्था नहीं हो सकी। बाहर पड़ा गेहूं पानी लगने के कारण भीग चुका था। भीगने के बाद जैसे ही गेहूं पर तेज धूप पड़ी तो गेहूं खराब और फूलने लगा।
अब तक तो यह स्थिति बन चुकी है कि गेहूं अंकुरित भी होने लगा है। इस समय हालत यह है कि जिले के सारे गोदाम, वेयर हाउस फुल हैं। इनमें थोड़ा सा गेहूं रखने की भी जगह नहीं है। इसलिए प्रशासन ने भंडारण की व्यवस्था रायसेन जिले के मंडीदीप में एक गोदाम में की है।
बोरियां में पानी लगने से फटने लगी हैं
गेहूं की जिन बोरियों को पानी लग चुका है वे धूप लगने के बाद अपने आप ही फट रही हैं। इससे गेहूं खराब हो रहा है। दोराहा निवासी प्रेम सिंह दांगी ने बताया कि गेहूं बाहर पड़ा हुआ था जो कि पानी लगने से गीला हो गया। जैसे ही धूप लगी तो वह बदबू मारने लगा। अब तो स्थिति यह है कि बाहर पड़ा गेहूं भी अंकुरित होने लगा है। घाट पलासी निवासी कृपाल सिंह ने बताया कि श्यामपुर में जो खरीदी केंद्रों पर जो गेहूं खरीदा गया था वह बाहर पड़ा है। गेहूं में पानी लगने के कारण बदबू मारने लगा है।
दो लाख 90 हजार हेक्टेयर में हुई थी गेहूं की बोवनी
जिले में इस बार 3 लाख 90 हजार हेक्टेयर में रबी की बोवनी का लक्ष्य निर्धारित कि या गया था। इसमें 2 लाख 90 हजार हेक्टेयरमें मुख्य फसल के रूप में गेहूं और सहायक फसल के रुप में चने की बोवनी 82 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में की गई थी। इस बार अच्छी बारिश और अनुकू ल मौसम के कारण रबी की फसल वोबनी से अंकुरण पानी की उपलब्धता के चलते मौसमी चक्र के अनुकूल गेहूं की फसल में किसानों ने पानी दिया। शीत ऋतु में लगातार पड़ी ठंड के कारण फसल में ग्रोथ अच्छी हुई। यही कारण रहा कि गेहूं का दाना भरा हुआ होने के कारण गेहूं की पैदावार अच्छी हुई। इस साल समर्थन मूल्य पर साढ़े साल लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी गई है। जबकि पिछले साल चार लाख 10 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी गई थी।
दूसरे जिलों में भेज रहे गेहूं
इस साल समर्थन मूल्य केंद्र पर रिकार्ड खरीदी हुई है। भंडारण की जगह नहीं होने के कारण खरीदी केंद्रों से गेहूं का परिवहन दूसरे जिलों में किया जा रहा है। सीहोर में तकीपुर सहित अन्य जगहों पर जो वेयर हाउस हैं। वहां पर अभी उपज रखने का काम चल रहा है।