
अंचल में मंगलवार से त्योहारिया हाट लगेंगे। अब एक सप्ताह तक इनमें भगोरिया पर्व के लिए कपड़े, श्रृंगार सामग्री आदि की जमकर खरीदी होगी। वजह यह है कि अगला जो हाट रहेगा, वही भगोरिया रहेगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सीधा गणित यह है कि जितने अधिक त्योहारिया हाट आबाद रहेंगे, उतना ही भगोरिया पर्व चमकेगा। 25 फरवरी से 2 मार्च तक जगह-जगह त्योहारिया हाट लगेंगे। इसके बाद 3 से 9 मार्च तक भगोरिया हाट लगेंगे।
इसलिए मनाते हैं
– वरिष्ठ नागरिक बीएस चौहान का कहना है कि भगोरिया प्राचीनकाल से मनाया जा रहा है। उसके साथ त्योहारिया हाट की परंपरा भी प्राचीन काल से ही कायम है। भगोरिया से पहले आने वाले हाट में त्योहार को लेकर तैयारी की जाती है इसलिए इसका नाम त्योहारिया हाट पड़ गया।
क्या खरीदी होगी
भगोरिया के लिए ड्रेस कोड तय करते हुए ग्रामीण समूह में एक साथ कपड़े लेने के लिए आएंगे ताकि भगोरिया मेले में एक जैसे कपड़े पहनकर आए। युवक व युवतियां सबसे ज्यादा इसमें रुचि लेते हैं। यह उनके मोहल्ले यानी फलिये की एकता को भी दर्शाता है।
युवतियां श्रृंगार सामग्री खरीदेंगी क्योंकि सज-धजकर जो उन्हें भगोरिया में आना है। वाद्ययंत्र खरीदने या दुरुस्त करवाने ग्रामीण आएंगे। नई पीढ़ी अब पार्लर में जाकर क्लिनअप व फेशियल भी करवाने लगी है। हाट के दौरान पार्लर व सैलून पर भी भीड़ देखी जाती है।
गौरतलब है कि भगोरिया पर्व में आदिवासी लड़कियां सज-धजकर आती हैं और आदिवासी लड़के जिस लड़की को पसंद करते हैं, उसके चेहरे पर गुलाल लगा देते हैं, यदि उस लड़की को भी वह लड़का पंसद होता है तो वह उस लड़के के चेहरे पर वापस गुलाल लगाती है। इस मेले में ऐसे वैवाहिक संबंध तय किए जाते हैं।