
पिछले दो महीनों में हुईं ताबड़तोड़ वारदातों से लखनऊ में पुलिसिंग व्यवस्था सवालों के घेरे में है। जिस तरह से दिनदहाड़े और जघन्य वारदातें हो रही हैं उससे साफ है कि बदमाश बेखौफ हो चले हैं। सितंबर में चार हत्याओं और 14 गोलीकांड से शहर दहल गया था।
यही नहीं, अक्तूबर में भी अभी तक तीन हत्याएं और वीआईपी इलाकों में फायरिंग व असलहे लहराने की वारदातों ने पुलिस के सारे दावों की धज्जियां उड़ा कर रख दी हैं। बदमाशों पर शिकंजा कसने में पुलिस नाकाम साबित हुई है। अभियान तो चलाए गए, लेकिन उनका असर नहीं दिख रहा है।
बदमाशों के दुस्साहस का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एसएसपी आवास से चंद कदम दूर भरी दोपहरी विधायक मुख्तार अंसारी के प्रतिनिधि शाहिद और उसके भाई नामवर पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। वारदात को ढाई महीने होने वाले हैं, लेकिन पुलिस खाली हाथ है।
पीजीआई में बदमाशों ने रीयल एस्टेट कारोबारी और एक पूर्व एमएलसी के करीबी सुनील सिंह की कार घेरकर गोलियां बरसाईं थीं। बेखौफ होकर वारदात कर रहे बदमाश मुंगेर में बनी नाइन एमएम और .30 की पिस्टल से लैस है। पिस्टलों के साथ ही .315 और .312 बोर के असलहे इस्तेमाल कर रहे हैं।