हत्या के आरोपी भारतीय मूल के दंपती के प्रत्यर्पण को ब्रिटिश कोर्ट ने दी मंजूरी

ब्रिटेन के हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में आरोपित भारतीय मूल के दंपती के प्रत्यर्पण के लिए भारत को अपील करने की अनुमति दे दी है। ये दंपती दत्तक पुत्र और रिश्तेदार की हत्या के मामले में आरोपित है। अब रॉयल कोर्ट ऑफ जस्टिस में इस मामले की सुनवाई 28 जनवरी को होगी। हत्या का यह मामला 2017 में गुजरात का है। अदालत में प्रत्यर्पण मामले पर भारत की पैरवी करने वाले क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने बुधवार को कहा कि निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने की मंजूरी मिल गई है। निचली अदालत वेस्टमिंटर मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने जुलाई में भारतीय मूल के ब्रिटिश दंपती आरती धीर और उसके पति कवल रायजादा के प्रत्यर्पण की अर्जी को खारिज कर दिया था। चीफ मजिस्ट्रेट एम्मा अर्बुनॉट ने कहा था कि भारत में दंपती को बगैर पैरोल के प्रावधान के उम्रकैद की सजा हो सकती है, जो यूरोपीयन कनवेंशन ऑन ह्यूमैन राइट्स (ईसीएचआर) के अनुच्छेद 3 के खिलाफ है। गौरतलब है अर्बुनॉट ने ही भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश दिया था।

आरती और कवल पर अपने 11 साल के दत्तक पुत्र गोपाल सेजानी और एक रिश्तेदार हरसुखभाई करदानी की हत्या का आरोप है। यह हत्याकांड फरवरी, 2017 में गुजरात में किया गया था। गुजरात पुलिस केअनुसार दोनों ने साजिश के तहत गोपाल को गोद लेने की योजना बनाई और 1.3 करोड़ रुपये का उसका बीमा कराया। उसके बाद बीमे की रकम प्राप्त करने के लिए बच्चे और रिश्तेदार को अगवा करने के बाद हत्या करा दी। अस्थायी वारंट के आधार पर दोनों को ब्रिटेन में जून, 2017 में गिरफ्तार भी किया गया था, बाद में उन्हें सशर्त जमानत दे दी गई थी। भारत सरकार ने अदालत में कहा कि दोषी पाए जाने पर आरोपित दंपती को फांसी की सजा नहीं दी जाएगी। दोषी पाए जाने पर दंपती को सश्रम उम्रकैद की सजा हो सकती है।

 

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