सीरिया से सैनिकों की वापसी पर बोले ट्रंप- अंतहीन युद्ध में शामिल नहीं होगा अमेरिका

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तुर्की और सीरिया के बीच छिड़ी जंग में अमेरिका के शामिल नहीं होने के फैसले का बचाव करने हुए कहा कि अमेरिका 7000 मील दूर बेवकूफी भरे अंतहीन युद्ध में शामिल नहीं हो सकता. पिछले हफ्ते तुर्की ने सीरिया पर हमला कर दिया था जिसमें बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं और हजारों लोगों को वहां से पलायन करना पड़ा है.

पिछले हफ्ते तुर्की ने सीमापार युद्ध सीरिया में कुर्दो के कब्जे वाले क्षेत्रों में हमला कर दिया जहां कुर्दिश लोगों की अगुवाई में सीरियाई ड्रेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) का शासन है. तुर्की सीरियाई ड्रेमोक्रेटिक फोर्सेस को सबसे बड़ा आतंकी संगठन मानता है.

‘अंतहीन लड़ाई लड़ने की जरूरत नहीं’

कई सांसदों ने कुर्द बलों के हटाने के इस कदम की आलोचना की है, जो आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का अहम सहयोगी है. तुर्की का यह हमला पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के क्षेत्र से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने के फैसले के बाद किए गए. इस हमले में काफी लोग मारे भी गए.

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘ हम इस आधार पर वहां से निकले कि हम अपने महान सैनिकों को वापस घर लाने जा रहे हैं जो वहां हैं. हमें इन अंतहीन युद्धों से लड़ने की कोई जरूरत नहीं है. हम उन्हें घर वापस ला रहे हैं.’ साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई कि तुर्की और सीरिया क्षेत्र में शांति के लिए काम करेंगे.

सीरिया में कितने अमेरिकी सैनिक?

राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि सीरिया पर तुर्की हमला उनके लिए कोई चौंकाने वाला नहीं रहा, तुर्की इसके लिए लंबे समय से योजना बना रहा था. अमेरिकी सैनिकों की वापसी पर ट्रंप ने कहा कि हमारे ज्यादातर सैनिक वापस लौट चुके हैं. हमारे ख्याल से 28 सैनिक वहां पर हैं, लेकिन 50 से कम ही हैं. जो एक बेहद छोटी सेना है.

उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने अपने सैनिकों की वापसी के लिए अभियान चलाया था, और यही कारण है कि इसके लिए प्रयासरत हूं.’

कड़े प्रतिबंध की तैयारी

इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह भी कहा था कि सीरिया से अमेरिकी सेना के लौटने पर वहां तुर्की द्वारा हमला किए जाने के बाद अमेरिका तुर्की पर कड़े प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है. डोनाल्ड ट्रंप ने इस संबंध में अपने एक्शन की शुरुआत भी कर दी है और तुर्की के लिए स्टील टैरिफ में बढ़ोतरी कर दी है. साथ ही 100 मिलियन यूएस डॉलर की डील को खत्म करने का ऐलान कर दिया.

तुर्की द्वारा सीरिया के कुर्द बहुल इलाकों में हमला किए एक सप्ताह से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है. इस हमले में सीरियाई ड्रेमोक्रेटिक फोर्सेस (एसडीएफ) के 154 लड़ाके मारे जा चुके हैं. सीरिया में 69 नागरिकों की भी मौत हुई है. तुर्की के मुताबिक इस हमले में उसके 6 सैनिक मारे गए हैं जबकि उसके 20 नागरिक भी कुर्दों के जवाबी हमले में मरे हैं.

2015 से एसडीएफ का नियंत्रण

जानकारों का कहना है कि अमेरिकी सैनिकों की सीरिया से वापसी से तुर्की को हमला करने के लिए ग्रीन सिग्नल मिल गया. 2011 में शुरू हुए गृह युद्ध के परिणामस्वरूप अधिकांश क्षेत्र सीरियाई सरकार के नियंत्रण से बाहर हो गए और इसे 2015 से एसडीएफ द्वारा नियंत्रित किया जाता रहा है.

एसडीएफ इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका का प्रमुख सहयोगी रहा है लेकिन तुर्की एसडीएफ के कुर्द लड़ाकों को ‘आतंकवादी’ मानता है जो तुर्की विरोधी विद्रोह का समर्थन करते हैं.

तुर्की ने कुर्द लड़ाकों से मुक्त ‘सुरक्षित क्षेत्र’ बनाने की बात कहकर अपने कदम का बचाव किया, जो सीरियाई शरणार्थियों को शरण भी दे सकता है. हमले के बाद तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगन ने पिछले हफ्ते कहा था कि हम इसे नहीं रोकेंगे चाहे कोई कुछ भी कहे.

तुर्की ने बातचीत की पेशकश ठुकराई

इससे पहले तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने सीरियाई कुर्द लड़ाकों के साथ संघर्ष विराम के लिए अपने अमेरिकी समकक्ष डोनाल्ड ट्रंप की पेशकश को ठुकरा दिया, हालांकि वाशिंगटन के साथ बातचीत जारी रखने को लेकर सहमति जताई है.

मंगलवार देर रात बाकू से अंकारा जाने के दौरान एर्दोगन ने कहा कि ट्रंप के साथ फोन पर बातचीत में अमेरिकी राष्ट्रपति ने तुर्की और कुर्दिश पीपल्स प्रोटेक्शन यूनिट्स (वाईपीजी) के बीच सीरिया में संघर्ष विराम के लिए मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा और इस पहल के लिए अंकारा में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया.

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