सुप्रीम कोर्ट ने ‘माननीयों’ को दी खुशखबरी, पूर्व सांसदों को जिंदगी भर मिलती रहेगी पेंशन और सुविधाएं

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश के पूर्व सांसदों को एक बड़ी राहत देते हुए खुशखबरी दी है. देश की शीर्ष कोर्ट ने सोमवार को एनजीओ लोक प्रहरी की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पूर्व सांसदों के पेंशन देने के खिलाफ याचिका दायर की थी. लेकिन कोर्ट ने पूर्व सांसदों की पेंशन को बरकरार रखने का फैसला सुनाया. जस्‍ट‍िस जे. चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की बेंच ने याचिका के संबंध में कहा “यह याचिका खारिज की जाती है” एनजीओ ने पूर्व सांसदों को दी जाने वाली पेंशन को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बीते माह मार्च में पूर्व सांसदों को दी जाने वाली पेंशन और अन्य भत्तों की अनुमति देने वाले कानूनों की संवैधानिक वैधता की जांच पर सहमति जताई थी. जस्टिस जे. चेलमेश्वर और जस्‍टसि ईएस अब्दुल नजीर की बेंच ने कहा  कहा था कि कोर्ट इस मामले को विस्तृत रूप से सुनेगी. बेंच ने केंद्र और चुनाव आयोग से इस मुद्दे पर जवाब भी मांगा था और याचिका पर लोकसभा और राज्य सभा के महासचिव को नोटिस जारी किए थे.

ऐसी हैं पूर्व सांसदों को मिलने वाली पेंशन व सुविधाएं 

– पूर्व सांसदों को संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम 1954 के अंतर्गत पेंशन मिलती है.
– हर महीने पूर्व सांसद को 20 हजार रुपए पेंशन मिलती है.
– 5 साल से अधिक होने पर हर साल के लिए 1500 रुपए अलग से दिए जाते हैं.
– योगी आदित्यनाथ कमेटी पेंशन राशि बढ़ाकर 35 हजार रुपए करने की सिफारिश कर चुकी है.
– पेंशन पाने के लिए कोई न्यूनतम समय सीमा तय नहीं है, कोई भी सांसद कितने भी समय के लिए संसद का सदस्‍य रहो हो, वह पेंशन का हकदार होगा.
– सांसदों और विधायकों को डबल पेंशन लेने का भी हक है। कहने का अर्थ यह कि कोई व्यक्ति पहले विधायक रहा हो और बाद में सांसद भी बना हो तो उसे दोनों की पेंशन मिलती है.
– पति, पत्नी या आश्रित को फेमिली पेंशन का प्रावधान है.
– फैमिली पेंशन सांसद या पूर्व सांसद की मृत्यु पर उनके पति, पत्नी या आश्रित को आजीवन आधी दी जाती है.
– पूर्व सांसदों को किसी एक सहायक या साथी के साथ ट्रेन में सेकेंड एसी में मुफ्त यात्रा की सुविधा है
– अकेले यात्रा पर प्रथम श्रेणी एसी की सुविधा है।

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एनजीओ लोकप्रहरी की दायर याचिका पर ये फैसला दिया है. इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि पद छोड़ देने के बाद भी सांसदों को पेंशन और अन्य भत्ते आदि दिया जाना संविधान के अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार का उल्लंघन है. याचिका में यह भी कहा गया है कि संसद के बिना पास हुए कोई कानून के बगैर पेंशन संबंधी लाभ देने का कोई अधिकार नहीं है.

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