तेजी से लुढ़का रुपया क्रूड ऑयल की कीमतों में, जानिए क्या होगा इसका असर भारत पर

दुनिया की सबसे बड़ी ऑयल कंपनियों में शुमार सऊदी अरामको के क्रूड ऑयल फैसिलिटी सेंटर्स पर ड्रोन हमले के बाद वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी दर्ज गई है। इसका सीधा इम्पैक्ट भारत में देखने को मिला है और इसकी शुरुआत स्थानीय मुद्रा में गिरावट से हुई है।

तेल की कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी से सोमवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 68 पैसे टूटकर 71.60 रुपये प्रति डॉलर हो गया। इसके साथ ही पहले से आर्थिक सुस्ती से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था पर ऑयल इंपोर्ट बिल का बोझ और बढ़ जाने की उम्मीद है।

अचानक क्यों बढ़ गए हैं क्रूड ऑयल के दाम

दरअसल, अरामको के दो फैसिलिटी सेंटरों में शनिवार की सुबह आग लग गई। सऊदी अरब के गृह मंत्री ने ड्रोन हमले के कारण अरामको के फैसिलिटी सेंटर्स पर आग लगने की पुष्टि की थी। इस हमले की जिम्मेदारी हूती विद्रोही संगठन ने ली है। इस हमले के बाद अरामको ने अपने उत्पादन में कमी की है। इस ड्रोन हमले के बाद वैश्विक स्तर पर तेल आपूर्ति को लेकर संकट खड़ा हो गया है। इस हमले के बाद तेल की वैश्विक आपूर्ति में प्रतिदिन 57 लाख बैरल की कमी आई है। यह मात्रा वैश्विक आपूर्ति की करीब छह फीसद है।

क्या पड़ा है असर

इस ड्रोन हमले के कारण सोमवार सुबह क्रूड ऑयल WTI और ब्रेंट क्रूड ऑयल दोनों के भाव में भारी तेजी देखने को मिली। भारतीय समयानुसार सुबह 10:39 बजे ब्रेंट क्रूड ऑयल का भाव 6.09 फीसद की तेजी के साथ 66.31 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर था। वहीं क्रूड ऑयल WTI का फ्यूचर भाव 8.93 फीसद की बढ़ोतरी के साथ 59.75 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहा था और ब्रेंट ऑयल का फ्यूचर भाव 10.06 फीसद की भारी तेजी के साथ 66.28 डॉ़लर प्रति बैरल पर चल रहा था।

हालांकि, अरामको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिर नसीर ने वैश्विक बाजार को आश्वस्त करते हुए कहा है कि वे जल्द ही आपूर्ति को पुराने स्तर पर ले आएंगे। अरामको ने बताया है कि वह अगले करीब दो दिन और अपने उत्पादन को कम रखेगी। कंपनी ने कहा कि ऐसा वह ड्रोन हमले में नुकसान पहुंचे तेल कुओं की रिपेयरिंग के लिये कर रही है।

सोना होगा और महंगा

माथुर के मुताबिक मिडिल ईस्ट का ये संकट जल्द दूर होता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे समय में अगर ईरान ने कोई प्रतिक्रियावादी कदम उठाया तो बात और बिगड़ सकती है। माथुर के मुताबिक ऐसी स्थिति में निवेशक सोने में अधिक निवेश करना सुरक्षित समझेंगे एवं बहुमूल्य पीली धातु की कीमतें और आसमान छू सकती हैं।

भारतीय इकोनॉमी पर क्या हो सकते हैं प्रभाव

आनन्द राठी शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स लिमिटेड के कमोडिटीज एंड करेंसीज के डायरेक्टर नवीन माथुर के मुताबिक इस ड्रोन हमले का प्रभाव लंबे समय तक देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि मिडिल ईस्ट के इन डेवलपमेंट्स पर नजर रखनी होगी क्योंकि इसका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिलेगा।

माथुर ने कहा कि भारत अपनी ईंधन संबंधी जरूरतों का 70-75 फीसद तक आयात करता है। ऐसे में वैश्विक स्तर पर तेल के दाम में तेजी का असर रुपया पर बहुत अधिक पड़ेगा। रुपये के कमजोर पड़ने से भारत का इंपोर्ट बिल बहुत अधिक बढ़ जाएगा। इससे कही-ना-कहीं भारत के खजाने पर बोझ बढ़ जाएगा।

उल्लेखनीय है कि भारत ने वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान ऑयल इंपोर्ट पर 111.9 अरब डॉलर खर्च किया था।

माथुर के मुताबिक इन घटनाक्रमों से देश में पेट्रोल और डीजल के दाम में तेजी देखने को मिल सकती है। उनके मुताबिक अगर ऐसा होता है तो अन्य वस्तुओं की कीमतों में भी बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है।

 

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