भगवान राम का जन्म कहां हुआ ये हिंदू तय करेंगे, मुसलमान नहीं: वसीम रिज़वी

भगवान राम का जन्म कहां हुआ था, इसको कौन तय करेगा?. ये हिंदू तय करेगा, मुसलमान नहीं. हमें अख्तियार है सिर्फ मोहम्मद साहब का जन्म स्थान तय करने का. हमारे ईमाम पैगंबरों का जन्म स्थान तय करने का. अगर हिंदू ये कहता है कि अयोध्या में श्रीराम का जन्मस्थान है तो कट्टरपंथी मुसलमानों को भी इस देश के बारे में सोचना चाहिए. हठधर्मी खत्म करके वहां राम मंदिर बनने देना चाहिए और खुद सहयोग करना चाहिए.

यह बयान शिया सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने दिया है. दिल्ली यूनिवर्सिटी नॉर्थ कैंपस में न्यू भारत फाउंडेशन की ओर से राम मंदिर पर आयोजित एक डिबेट में  उन्होंने कहा “मुस्लिम अच्छी तरह जानते हैं कि ऐसी जगह नमाज पढ़ी ही नहीं जा सकती जो जगह आपकी हो न, छीनी या कब्जा की हुई हो…तो जहां पर नमाज ही जायज नहीं है वो मस्जिद कैसी?”

मस्जिद का केस हिस्ट्री के खिलाफ लड़ रहे हैं मुसलमान 

रिजवी ने कहा, “मुस्लिमों की ओर से अयोध्या में मस्जिद का केस हिस्ट्री के अंगेस्ट लड़ा जा रहा है. बाबर तो कभी अयोध्या आया ही नहीं था. मुझे मालूम है कि बाबर का सेनापति मीर बांकी अयोध्या आया था. वहां उसने कत्लेआम कर मंदिरों को तोड़ा. फिर अपने सैनिकों के लिए मस्जिद के रूप में एक स्ट्रक्चर बनवाया.

“रिजवी ने कहा, “जब मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये बात कोर्ट के बाहर भी सुलझाई जा सकती है तो मैंने कोशिश शुरू की. पहले हमने कट्टरपंथी मुल्लाओं से बात की कि शायद कोई रास्ता बन सके. लेकिन बात नहीं बनी. जब रास्ता नहीं बना तो हमने मंदिर पक्ष वालों से कोशिश की.”  “शिया वक्फ बोर्ड ने हिंदू पक्षकारों से बातचीत कर ये फैसला लिया है कि हम अयोध्या के 14 कोसी परिक्रमा के बाहर मस्जिद बनाएंगे. इस बारे में हमने कोर्ट में एक समझौता पेश किया है. उसमें कहा है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बन जाए और लखनऊ में मस्जिदे-अमन बने.”

किसी मुगल बादशाह या जालिम के नाम पर नहीं बनाएंगे मस्जिद 

रिजवी ने कहा “हम किसी मुगल बादशाह या जालिम सिपहसालार के नाम पर मस्जिद का नाम नहीं रखना चाहते. जो कट्टरपंथी मुसलमान हैं वही चाहते हैं कि आयोध्या में मस्जिद बने, बाकी मंदिर बनवाने के पक्ष में हैं.” रिजवी ने कहा, “सुन्नी पक्ष से इसका कोई मतलब नहीं है. ये 1944 में पिक्चर में आए हैं उससे पहले ये कहीं पर भी नहीं थे. ये लोग देश का माहौल खराब कर रहे हैं.” उन्होंने कहा, “पार्टीशन के दौर में मुस्लिमों के लिए रास्ते खुले थे वो पाकिस्तान जा सकते थे, हिंदू पाकिस्तान नहीं जा सकते थे. जो मुस्लिम यहां रुके उनका मकसद था कि सबको मिलजुलकर रहना है लेकिन इसे खराब किया कुछ कट्टरपंथी मानसिकता के लोगों ने.”

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