पश्चिम बंगाल: पंचायत चुनाव में विपक्ष ने लगाया हेरा-फेरी का आरोप, TMC का बढ़ा दबदबा

पंचायत चुनाव के नॉमिनेशन से आखिरी दिन राज्य चुनाव आयोग ने इसे फाइल करने की तारीख भले ही आगे बढ़ा दी हो लेकिन बंगाल में  पंचायत चुनाव में त्रिणमूल कांग्रेस का ही दबदबा कायम रहने वाला है। 

अकेले बीरभूम जिला परिषद में 42 सीटों में से 41 सीटों  पर त्रिणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी निर्विरोध चुन लिए गए हैं। वहीं बीरभूम पंचायत समीती में 19 में 14 सीटों पर मौजूदा सरकार के प्रत्याशी विजेता घोषित कर दिए गए हैं। पश्चिम बंगाल में 1 मई, 3 मई और 5 मई को  वोट डाले जाएंगे, जबकि 8 मई को नतीजों की घोषणा होगी। 

वहीं मुर्शिदाबाद के कांडी की 30 पंचायत समीती की सीटों में से 29 सीटों पर टीएमसी के उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए हैं। जबकि भरतपुर 2 में सभी 21 सीटों पर भी त्रिणमूल कांग्रेस के उम्मीदवारों को बिना किसी विरोध के विजयी घोषित कर दिया गया है। कुछ ऐसा ही हाल बरवान की 37 पंचायत समीती सीट पर भी यही हाल है।

विपक्षी पार्टियों ने पश्चिम बंगाल सरकार पर चुनाव में भारी हेराफेरी का आरोप लगाया है और कहा है कि पूरा चुनाव एक नाटक है और दिखावा है। विपक्षी पार्टियों का आरोप है कि त्रिणमूल किसी दूसरी पार्टी के उम्मीदवार को चुनावी मैदन में उतरने नहीं दे रही है।

बंगाल में पिछले कई दिनों से बंगाल में हिंसा जारी है

बता दें कि बंगाल में पिछले कई दिनों से बंगाल में हिंसा जारी है। बीजेपी और त्रिणमूल कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं बीच लगातार झड़प हो रही है इसमें कई विपक्षी पार्टी के  प्रत्याशियों की मौत हो गई है। बांकुरा के रानीबांध में टीएम कार्यकर्ताओं के हमले में एक बीजेपी कार्यकर्ता की मौत हो गई थी।बीजेपी कार्यकर्ता अजीत मुर्मु को बांकुरा मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई।

बीरभूम जिले में बीजेपी प्रेसिडेंट रामकृष्ण रॉय ने टीएमसी कार्यकर्ताओं पर हिंसा करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि वे बीजेपी के  उम्मीदवार जो नॉमिनेशन करने जा रहे थे उन्हें  धमकी दे रहे हैं। टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा इस हरकत के बारे में हमने सोचा भी नहीं था।

उन्होंने आगे कहा कि हमारा एक उम्मीदवार राजनगर सीट से नॉमिनेशन फाइल करने में सफल हो गया है। इसलिए त्रिणमूल जिला परिषद की सभी सीटें जीतने में कामयाब हो गया है। वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय सचिल राहुल सिन्हा ने कहा कि  यह जीत बम और बंदूकों की संस्कृति का प्रतीक है, न कि लोगों की।वे चुनाव से पहले लोगों को डरा धमका रहे हैं और अब कह रहे हैं कि विकास की जीत हो रही है।

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