छत्तीसगढ़ में कहीं भारी बारिश, तो कहीं सूखे से फट रहा जमीन का सीना

छत्तीसगढ़ के कुछ इलाकों में जहां तेज बारिश से रेड अलर्ट जारी किया गया है, वहीं प्रदेश के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जहां जमीन बिना पानी के सूख रही है। राज्य के 150 में से 43 तहसील ऐसे हैं, जहां बारिश का औसत अभी भी 70 फीसद से नीचे हैं। इनमें 10 तहसील ऐसे हैं जहां 50 फीसद से कम बरसात हुई है और पानी की कमी से खेतों में दरार पड़ रही है। उधर मौसम विभाग ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर, मुंगेली, गरियाबंद, धमतरी, दुर्ग, बालोद, कवर्धा, बेमेतरा, राजनांदगांव, कांकेर और नारायणपुर जिलों भारी से भारी बारिश की चेतावनी है। इसी तरह रायपुर, सरगुजा, जशपुर, सूरजपुर, रायगढ़, कोरबा, जांजगीर, रायपुर, बलौदाबाजार, महासमुंद और कोंडागांव जिलों में एक या दो स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है।

जिले का औसत बदला, लेकिन तहसीलों की स्थिति खराब

रायपुर जिले में बुधवार तक बारिश का औसत 52 प्रतिशत था। बुधवार शाम तक आंकड़ा सीधे 72 प्रतिशत पर पहुंच गया। इसके बावजूद यहां के चार में से दो तहसीलों की स्थिति खराब है। तिल्दा में तो महज 48 फीसद ही बारिश हुई है। वहीं, रायपुर तहसील में यह आंकड़ा 64 प्रतिशत तक पहुंचा है। इसी तरह दुर्ग जिले का भी औसत आंकड़ा बढ़ा है, लेकिन वहां की तीन में से दो तहसीलों में स्थिति चिंताजनक है। वहां की धमध तहसील में 43 प्रतिशत तो दुर्ग में आंकड़ा 66 प्रतिशत तक पहुंचा है।

सूखाग्रस्त घोषित करने का मापदंड

किसी क्षेत्र को सूखाग्रस्त घोषित करने के कई मापदंड हैं। इसमें औसत बारिश के साथ ही फसल की स्थिति आदि को भी देखा जाता है। राजस्व नियमों के अनुसार यदि कहीं औसत से 30 फीसद तक कम बारिश होती है तो उस क्षेत्र को सूखाग्रस्त घोषित किया जा सकता है। यानी कहीं 70 फीसद भी बारिश हुई है तो वह क्षेत्र सूखाग्रस्त घोषित किया जा सकता है।

तिलहन-दलहल फसल की करें तैयारी

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कृषि वैज्ञानिक डॉ जीके दास का कहना है कि लंबे समय से बरसात का इंतजार कर रहे किसानों के लिए यह बारिश फायदेमंद होगी। किसान इसका फायदा उठा सकते हैं। उतार वाली जमीन, जहां पानी नहीं रुकता, वहां मूंग, उडद, तिल व मक्का की बोवाई की तैयारी शुरू कर सकते हैं। वहीं जिन किसानों के खेत में किसी कारण से धान का अंकुरण नहीं हुआ, जल्द पकने वाली किस्में की पैदावार ले सकते हैं।

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