अनुच्छेद 370 : छत्तीसगढ़ के प्रोफेसर 6 माह पहले दे चुके थे ऐसा सुझाव

जम्मू-कश्मीर से ‘संविधान सभा शब्द को हटाकर उसे राज्य की विधानसभा घोषित करने के छह माह पहले ही छत्तीसगढ़ के एक सहायक प्राध्यापक ने इस पर अपने सुझाव दे दिए थे। सुझाव के मुताबिक संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड तीन से संविधान सभा शब्द को हटाकर राज्य की विधानसभा करने की सिफारिश की गई है।

हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ जे. योगानंदम कॉलेज रायपुर के विधि विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ.भूपेेंद्र करवंदे की । उन्होंने ‘आर्टिकल 370 ऑफ कंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया फैक्ट इशू एंड सॉल्यूशन(इन स्पेशल रिफ्रेरेंस ऑफ जम्मू एंड कश्मीर) टॉपिक पर पीएचडी की है। पिछले छह महीने पहले ही उनका अध्ययन (पीएचडी) सार्वजनिक भी हो चुका है।

डॉ. भूपेंद्र करवंदे के रिसर्च के मुताबिक कश्मीर की समस्या राजनीतिक न होकर संवैधानिक है। वहां बेरोजगारी हावी है। युवाओं के विकास और बेहतर रोजगार के लिए संविधानिक समस्या को हटाने के सुझाव उनके रिसर्च में स्पष्ट है।

इसके मुताबिक इस इलाके में संवैधानिक समस्या से रोजगार के साधन नहीं बढ़ पाए हैं। न कोई निवेश कर सकता है और न ही कोई रोजगार के नए साधन खोज पा रहा है। निवेश और उद्योग नहीं होने से दिक्कत है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में डॉ. करवंदे पहले पीएचडीधारी हैं, जिन्होंने देश के सबसे बड़े ज्वलंत मुद्दे पर अध्ययन करने का साहस किया। उनका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर की समस्या पर अध्ययन कर उसके लिए समाधान खोजना था।

यह दिया है सुझाव

डॉ. करवंदे ने अपने अध्ययन के बाद प्रकाशित रिसर्च में स्पष्ट किया था कि जम्मू-कश्मीर की समस्या राजनीतिक कतई नहीं है, यह एक संवैधानिक समस्या है। उन्होंने कहा कि कश्मीर में बेरोजगारी, दोहरी नागरिकता, दो संविधान, स्थानीय सरकार का पूर्ण नियंत्रण न होने से समस्या बड़ी है। वहां सुरक्षा पर सबसे अधिक खर्च भी किया जा रहा था। डॉ. करवंदे ने अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाने को लेकर सुझाव दिया था।

उन्होंने बताया कि 26 अक्टूबर 1947 को कश्मीर के मामले में जारी अधिमिलन पत्र में जम्मू कश्मीर को लेकर इस रियासत के राजा हरिसिंह शामिल हुए थे। जम्मू-कश्मीर के बारे में अस्थाई प्रावधान है जिसको या तो बदला जा सकता है या फिर हटाया जा सकता है।

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बता दें कि अनुच्छेद 370 से पहले भारतीय संविधान सभा ने 306 ए के तहत कश्मीर के सम्बंध अस्थायी उपबंध किया था और गोपाल स्वामी अयंगर ने इसे संविधान सभा में प्रस्तुत किया था। बाद में यह 370 में परिवर्तित हो गया है। इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर का संविधान 26 जनवरी 1957 को लागू हुआ था। इसी प्रस्तावना एवं अनुच्छेद (3) स्पष्ट है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न् अंग है।

सरकार ने सिर्फ इसे हटाया है

अनुच्छेद 370 तीन भागों में बंटा हुआ है। प्रावधान के मुताबिक 370(1) बाकायदा कायम है सिर्फ 370 (2) और (3) को हटाया गया है। 370(1) में प्रावधान के मुताबिक जम्मू और कश्मीर की सरकार से सलाह करके राष्ट्रपति आदेश द्वारा संविधान के विभिन्न् अनुच्छेदों को जम्मू और कश्मीर पर लागू कर सकते हैं। 370(3) में प्रावधान था कि 370 को बदलने के लिए जम्मू और कश्मीर संविधान सभा की सहमति चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 35ए अब खत्म हो गया।

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