शिवसेना ने भाजपा की रथयात्रा पर उठाए सवाल, कहा- ‘चुनाव आते हैं तो ऐसी यात्राएं निकलती हैं’

शिवसेना के मुखपत्र सामना में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से होने वाले रथयात्रा आयोजन को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं. शिवसेना ने लिखा है, ‘भारतीय जनता पार्टी महाराष्ट्र में एक रथयात्रा का आयोजन कर रही है. मित्रदल को इस यात्रा के लिए हम शुभकामनाएं दे रहे हैं. उस रथ पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सवार होंगे, ऐसी जानकारी चंद्रकांत दादा पाटील ने दी है. रथयात्रा का आयोजन और प्रयोजन इसलिए है ताकि जनता यह जान सके कि गत साढ़े 4 सालों में सरकार ने भव्य कार्यों का पहाड़ खड़ा किया है. ‘युति’ की सरकार होने के कारण जनता तक ये बातें पहुंचना महत्वपूर्ण है. चुनाव आते हैं तो ऐसी यात्राएं निकलती हैं’

सामना में लिखा हैं, ‘किसान तड़प रहा है, उसकी समस्याएं दूर की जाएं, ये हमारी मांग है. किसानों की कर्जमुक्ति फडणवीस सरकार के 4 वर्षीय कार्यकाल की सबसे बड़ी घोषणा है. बाकी पत्थर, मिट्टी, रेती, डांबर और सीमेंट के काम ठेकेदार करते ही रहते हैं. वो कल हुई और आगे भी होगी. लेकिन किसानों की कर्जमुक्ति की घोषणा अटक गई. फसल बीमा योजना में धोखा हुआ.’

शिवसेना ने कहा, ‘मराठों को आरक्षण की घोषणा के बावजूद क्या मिला, ऐसा सवाल बीजेपी सांसद छत्रपति संभाजी राजे ने ही पूछा है. गड्ढे में गया आरक्षण, ऐसा संताप कोल्हापुर के छत्रपति ने क्यों व्यक्त किया? इन सभी समस्याओं को रथ पर चढ़ने के पहले सुलझाना होगा. बीजेपी ने रथ छोड़ दिया है और चंद्रकांत दादा उस रथ के सारथी बनेंगे. मतलब वो रथ ‘ऐसा-वैसा’ बिल्कुल नहीं होगा.’

महाराष्ट्र में विकास पर कसा तंज
लेख में आगे लिखा है, ‘महाराष्ट्र के विकास की गंगा जिस दिशा में बह रही है उसी मार्ग से रथयात्रा आगे बढ़ेगी. कुछ जगहों पर दलदल, कहीं दरकी हुई जमीन और कहीं किसानों के सूखे चेहरे दिखेंगे. यह सब ठीक करके आगे बढ़ो. रथ के पहिए कहीं न अटकें इसके लिए शुभकामनाएं! मुख्यमंत्री हमारे ही हैं, वे उत्तम नेतृत्व कर रहे हैं और सबको साथ लेकर काम कर रहे हैं इसलिए उनकी चिंता होती है.’

राम मंदिर को लेकर भी साधा निशाना
सामना के अपने लेख के जरिए शिवसेना ने लिखा है, ‘लालकृष्ण आडवाणी की अयोध्या रथयात्रा को 25 वर्ष हो गए. लेकिन राम वनवास में ही हैं. हमारा अयोध्या आना-जाना शुरू है और राम मंदिर बनेगा यह आशा जीवित है क्योंकि जहां तुम कम पड़ोगे वहां हम कंधे से कंधा मिलाकर साथ देंगे. रथ आगे बढ़ने दो.’

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