विरल आचार्य के इस्तीफे पर RBI की मुहर, केंद्रीय बैंक की स्वतंत्रता और स्वायत्तता के रहे हैं मजबूत समर्थक

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर डॉ. विरल आचार्य (Viral Acharya) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। डॉ. विरल आचार्य का कार्यकाल पूरा होने में अभी छह महीनों का समय बाकी था। डॉ. विरल आचार्य इस साल अगस्त में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्टर्न स्कूल ऑफ बिजनेस में सीवी स्टार प्रोफेसर ऑफ इकनॉमिक्स के रूप में ज्वाइन करने जा रहे हैं। विरल आर्थिक उदारीकरण के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक के सबसे कम उम्र के डिप्टी गवर्नर रहे।

आरबीआई ने की पुष्टि

इस संबंध में आरबीआई ने अपनी वेबसाइट पर बताया है, ‘मीडिया में खबरें आई हैं कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के डिप्‍टी गवर्नर डॉ. विरल आचार्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके बारे में कहना है कि कुछ हफ्ते पहले डॉ. आचार्य ने आरबीआई को एक पत्र लिखा था जिसमें बताया था कि वह अपरिहार्य व्यक्तिगत परिस्थितियों के कारण आरबीआई के डिप्‍टी गवर्नर का कार्यकाल 23 जुलाई, 2019 के बाद जारी रखने में असमर्थ हैं।’ आरबीआई के अनुसार उनका यह पत्र संबंधित अधिकारियों के सामने विचाराधीन है।

आरबीआई की स्वायत्तता के मजबूत समर्थक

डॉ. विरल आचार्य रिज़र्व बैंक की स्वतंत्रता और स्वायत्तता में मजबूत विश्वास रखते हैं। उनका मानना है कि यह आर्थिक प्रगति और वित्तीय स्थिरता के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यहां तक कि उन्होंने चेतावनी दी थी कि उनके मौद्रिक प्राधिकरणों को नजरअंदाज करने वाली किसी भी सरकार को वित्तीय बाजारों में बुरी स्थिति और आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ेगा।

सरकारों को दी थी चेतावनी

डॉ. आचार्य ने 26 अक्टूबर, 2018 को मुंबई में दिये अपने एक भाषण में कहा था, ‘जो सरकारें केंद्रीय बैंकों की स्वतंत्रता का सम्मान नहीं करती हैं, वे देरसवेर वित्तीय बाजारों की बुरी स्थिती की जिम्मेदार बनती ही है। वे अर्थव्यवस्था में मंदी बढ़ाने की भी जिम्मेदार बनती हैं।’ उन्होंने आगे कहा था कि स्वतंत्रता की स्थिति हमेशा एक महान संवेदनशीलता को दर्शाती है, लेकिन यह आर्थिक क्षेत्र में भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।

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