रोहिंग्या समुदाय पर कार्रवाई से पहले कदम उठाने में नाकाम रहा संयुक्त राष्ट्र- विशेषज्ञ

संयुक्त राष्ट्र: हिंसक सैन्य कार्रवाई से बचकर लाखों रोहिंग्या मुसलमानों के म्यामां से भागने से पहले के वर्षों में किए गए संयुक्त राष्ट्र अभियानों की एक स्वतंत्र समीक्षा में पाया गया कि संगठन के कई निकाय एक साथ कार्य करने में विफल रहे, जिसके परिणामस्वरूप “प्रणालीगत और संरचनात्मक विफलताएं” हुईं.

ग्वाटेमाला के पूर्व विदेश मंत्री गेर्ट रोसेंथल ने सोमवार को 36 पृष्ठों की एक समीक्षा जारी की.

समीक्षा में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र को म्यामां में मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ शांत कूटनीति या मुखर वकालत का इस्तेमाल करना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

रोसेंथल ने कहा , ‘‘ इसमें कोई संदेह नहीं है कि बड़ी गलतियां की गईं और संयुक्त राष्ट्र प्रणाली ने एक साझा कार्य योजना के बजाए बिखरी हुई रणनीति अपनाकर अवसरों को खो दिया.’’ 

गौरतलब है कि अगस्त 2017 में म्यामां सेना की कार्रवाई के कारण 7,20,000 से अधिक रोहिंग्या लोगों ने पड़ोसी देश बांग्लादेश में पनाह ली थी. सुरक्षा बलों पर आरोप लगाए गए हैं कि इस कार्रवाई के दौरान उन्होंने बलात्कार किए, लोगों की जान ली और हजारों घरों को आग के हवाले कर दिया था. 

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