यूपीपीसीएल की ऑनलाइन परीक्षा रद, विद्युत सेवा आयोग के अध्यक्ष व सचिव निलंबित, एपटेक ब्लैक लिस्ट

लखनऊ (जेएनएन)। उप्र पावर कार्पोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) की ऑनलाइन परीक्षा में धांधली उजागर होने पर सरकार ने अवर अभियंता सहित सभी पदों की परीक्षा रद कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर विद्युत सेवा आयोग के अध्यक्ष एके सक्सेना व सचिव जीसी द्विवेदी को निलंबित कर दिया गया है। परीक्षा संचालित कराने वाली एजेंसी एपटेक को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने 28 मार्च को परीक्षा में धांधली व पेपर लीक का खुलासा करते हुए 12 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। एसटीएफ की जांच में यूपीपीसीएल व एपटेक की कई बिंदुओं पर लापरवाही उजागर हुई हैं।

प्रमुख सचिव ऊर्जा एवं उप्र पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि एसटीएफ की जांच में अवर अभियंता भर्ती परीक्षा-2018 में धांधली की पुष्टि होने पर यह कार्रवाई की गई है। परीक्षा कराने वाली संस्था एपटेक को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है। अवर अभियंता, सहायक समीक्षा अधिकारी, कार्यालय सहायक व अपर निजी सचिव के पदों की प्रक्रियाधीन परीक्षाएं रद कर दी गई हैं। साथ ही सभी परीक्षाओं के कार्यदायी संस्थाओं का पैनल भी रद कर दिया गया। प्रमुख सचिव ऊर्जा ने कहा कि पूरे मामले में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उनके खिलाफ कठोर विधिक कार्रवाई होगी।

मुख्यमंत्री व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने जांच में प्रथमा दृष्टया दोषी पाए जाने वालों पर कठोर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। एसटीएफ की विस्तृत रिपोर्ट मिलने के बाद कई अन्य पर भी गाज गिरने के संकेत मिले हैं। एसटीएफ ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में कहा है कि एपटेक द्वारा दावा किया गया था कि उनका परीक्षा प्लान फुल प्रूफ है उसे ऑनलाइन हैक नहीं किया जा सकता है। यह दावा गलत पाया गया है। उप्र पावर कार्पोरेशन की परीक्षा संचालन समिति व एपटेक की भूमिका संदेह के घेरे में है।

194,166 अभ्यर्थियों ने दी थीं परीक्षाएं

यूपीपीसीएल में अवर अभियंता सहित सात पदों के लिए आठ से 23 फरवरी के मध्य ऑनलाइन परीक्षाएं हुई थीं। कुल 194,166 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी। एसटीएफ की जांच अब मुख्यता इस बात पर केंद्रित है कि आखिर पेपर किस स्तर से लीक हुआ था। एपटेक के अधिकारियों व कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है।

11 फरवरी को उप्र पावर कार्पोरेशन की जूनियर इंजीनियर (इलेक्ट्रिकल) ट्रेनी पद की ऑनलाइन परीक्षा हुई थी। 18 फरवरी को उत्तर पुस्तिका ऑनलाइन की गई थी, जिस पर अभ्यर्थियों ने अपने नंबर देखकर परीक्षा में धांधली के आरोप लगाए थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच एसटीएफ से कराए जाने का निर्देश दिया था। जिस पर एटीएफ के एएसपी विशाल विक्रम सिंह के नेतृत्व में गठित एसआइटी में शामिल सीओ आलोक सिंह, सीओ सत्यसेन यादव व सीओ अमित नागर ने जांच की।

डाटा विश्लेषण से खुली पोल

एसआइटी ने 26 हजार अभ्यर्थियों के डाटा का विश्लेषण किया, जिसमें धांधली पकड़ी गई। जांच में सामने आया कि पेपर लीक करके अभ्यर्थियों को 11 फरवरी की दूसरी पाली में होने वाली परीक्षा की पूरी तैयारी पहले ही करा दी गई थी। परीक्षा केंद्रों के संचालकों व टेक्नीशियनों से सांठगाठ कर कंप्यूटरों में ऐमी ऐडमिन सॉफ्टवेयर इंस्टाल किया गया और उसका आइडी व पासवर्ड सॉल्वर गैंग को उपलब्ध कराया गया। सॉल्वरों ने ऑनलाइन पेपर सॉल्व कर अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ पहुंचाया।

एसटीएफ ने इन्हें किया था गिरफ्तार

एसटीएफ ने आरोपित लखनऊ निवासी ज्ञानेंद्र सिंह यादव, डॉ.अमित सिंह व सैय्यद अफसर हुसैन, आजमगढ़ निवासी संजय राजभर, बलिया निवासी दीपमणि यादव व विपिन कुमार सिंह, अंबेडकरनगर निवासी संजय कुमार जायसवाल, मऊ निवासी अभय यादव, देवरिया निवासी धीरेंद्र वर्मा व संजय कुमार गौड़, इलाहाबाद निवासी राकेश कुमार व रामबाबू यादव को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। आरोपित ज्ञानेंद्र सिंह यादव जेके पब्लिक स्कूल के प्रबंधक व डॉ.अमित सिंह महाबीर प्रसाद डिग्री कॉलेज के मालिक हैं। आरोपितों के खिलाफ एसटीएफ के लखनऊ स्थित साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई है।

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