दुनिया भर में मदर्स डे को लोकप्रिय बनाने और उसको मनाने की परंपरा को जाने किसने शुरू की थी….

मां के कई नाम होते हैं. कोई मां कहता है, तो कहीं मां को अम्मा, तो कोई प्यार से मम्मी कहकर अपनी मां को पुकरता है. मां को किसी भी नाम से पुकारा जाए, हर नाम में प्यार होता है. मां को स्पेशल महसूस कराने के लिए मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है. बच्चों के लिए मां और मां के लिए उसके बच्चों के लिए यूं तो हर रोज खास होता है. लेकिन मदर्स डे एक ऐसा दिन होता है, जिस दिन बच्चों को अपने जज्बातों को शेयर करने का मौका मिलता है. 

यहां से शुरू हुई परंपरा

दुनिया भर में मदर्स डे को लोकप्रिय बनाने और उसको मनाने की परंपरा शुरू करने का श्रेय अमेरिका की ऐना एम.जारविस को जाता है. ऐना का जन्म अमेरिका के वेस्ट वर्जिनिया में हुआ था. उनका मां अन्ना रीस जारविस 2 दशकों तक एक चर्च में संडे स्कूल टीचर रहीं. एक दिन की बात है. उनकी मां संडे स्कूल सेशन के दौरान बाइबिल में मां पर एक पाठ के बारे में बता रही थीं. उस समय जारविस 12 साल की थीं. पाठ के दौरान उनकी मां ने एक इच्छा का इजहार किया. उन्होंने अपनी मां को कहते सुना, एक दिन आएगा जब कई मां और मातृत्व को मनाने के लिए एक दिन समर्पित करेगा. उस समय तक सिर्फ पुरुषों को समर्पित दिन होते थे, जिनको मनाया जाता था. महिलाओं के लिए कोई दिन नहीं होता था.

जब ऐना की मां का निधन हो गया तो उसके दो सालों बाद, ऐना और उनकी दोस्तों ने एक अभियान चलाया. उन्होंने मदर्स डे की राष्ट्रीय छुट्टी के लिए लोगों का समर्थन हासिल किया. उन्होंने देखा था कि आमतौर पर बच्चे अपनी मां के योगदान को भुला देते हैं. वह चाहती थीं कि जब मां जिंदा हो तो बच्चे उनका सम्मान करें और उनके योगदानों की सराहना करें. उनको उम्मीद थी कि जब इस दिन को मदर्स डे के तौर पर मनाया जाएगा, तो मां और पूरे परिवार का आपस में संबंध मजबूत होगा. 8 मई, 1914 को संयुक्त राज्य अमेरिका की संसद ने मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे घोषित किया. 

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