दुनिया के सबसे खूंखार तानाशाह, आखिर क्यों की ख़ुदकुशी…

जर्मनी के तानाशाह हिटलर को लोग कैसे भूल सकते हैं, जिसने 30 अप्रैल 1945 को खुद को गोरी मार ली थी। उनके बारे में पूरी दुनिया में अलग-अलग तरीके से चर्चाएं होती रहती है।  उस दिन से पहले जर्मन तानाशाह को सोवियत सेनाओं ने हर ओर से घेर लिया था। पूरी दुनिया में मौत का खेल चुका हिटलर अपनी हार से टूट चुका था। वह बर्लिन में एक खुफिया बंकर में अपनी प्रेमिका ईवा ब्राउन के साथ रह रहा था जो जमीन से 50 फीट नीचे बना था। जब सोवियत सेना उसके काफी नजदीक पहुंच गईं तो हिटलर ने बंकर में खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।

हिटलर की ज़िंदगी से जुड़ी कई दिलचस्प कहानियां हैं। किसी कहानी में वो हीरो की तरह नजर आता है तो किसी में विलेन। लेकिन सच ये है कि एडोल्फ हिटलर 20 वीं सदी का सबसे क्रूर तानाशाह था। प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1933 में वह समाजवादी जर्मन वर्कर्स पार्टी को सत्ता में लाने के बाद उसने जर्मन सरकार पर अधिपत्य कर लिया।

एडोल्फ हिटलर का जन्म आस्ट्रिया में 20 अप्रैल 1889 को हुआ। 17 वर्ष की उम्र में पिता के निधन के बाद वो वियना चला गया। पैसों की तंगी के कारण वह पोस्टकार्डों पर चित्र बनाकर काम चलाने लगा। यही वो समय था जब हिटलर के मन में साम्यवादियों और यहूदियों के प्रति घृणा ने जन्म लिया।

हिटलर ने एक विशाल जर्मन साम्राज्य की स्थापना का लक्ष्य जमर्नी की जनता के सामने रखा। उसका मानना था कि ऐसा करने से जर्मन सुख से रह सकेंगे। धीरे-धीरे उसका प्रभाव बढ़ने लगा। उसने स्वास्तिक को अपने दल का चिह्र बनाया जो और भूरे रंग की पोशाक पहने सैनिकों की टुकड़ी तैयार की। 1923 में उसने अपनी आत्मकथा मीन कैम्फ (“मेरा संघर्ष”) लिखी। इसमें उसने लिखा कि आर्य जाति सभी जातियों से श्रेष्ठ है और जर्मन आर्य हैं। उन्हें विश्व का नेतृत्व करना चाहिए। यहूदी सदा से संस्कृति में रोड़ा अटकाते आए हैं। जर्मन लोगों को साम्राज्यविस्तार का पूर्ण अधिकार है। फ्रांस और रूस से लड़कर उन्हें जीवित रहने के लिए भूमि प्राप्ति करनी चाहिए।

1930-32 में जर्मनी में बेरोज़गारी बहुत बढ़ गई। संसद में नाजी दल के सदस्यों की संख्या 230 हो गई। 1932 के चुनाव में हिटलर को राष्ट्रपति के चुनाव में सफलता नहीं मिली। जर्मनी की आर्थिक दशा बिगड़ती गई और विजयी देशों ने उसे सैनिक शक्ति बढ़ाने की अनुमति की। 1933 में चांसलर बनते ही हिटलर ने जर्मन संसद को भंग कर दिया, साम्यवादी दल को गैरकानूनी घोषित कर दिया और राष्ट्र को स्वावलंबी बनने के लिए ललकारा।

60 लाख यहूदियों की कराई थी हत्या

1933 में जर्मनी की सत्ता पर जब एडोल्फ हिटलर काबिज हुआ था तो उसने वहां एक नस्लवादी साम्राज्य की स्थापना की थी। वह यहूदियों से सख्त नफरत करता था। यहूदियों के प्रति हिटलर की इस नफरत का नतीजा नरसंहार के रूप में सामने आया। होलोकास्ट इतिहास का वो नरसंहार था, जिसमें छह साल में तकरीबन 60 लाख यहूदियों की हत्या कर दी गई थी। इनमें 15 लाख तो सिर्फ बच्चे थे।

दूसरे विश्वयुद्ध का सबसे बड़ा कारण था हिटलर
द्वितीय विश्व युद्ध तब हुआ, जब हिटलर के आदेश पर नाजी सेना ने पोलैंड पर आक्रमण किया। फ्रांस और ब्रिटेन ने पोलैंड को सुरक्षा देने का वादा किया था और वादे के अनुसार उन दोनो ने नाज़ी जर्मनी के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। इसके बाद जर्मनी ने रूस पर आक्रमण किया। जब अमेरिका द्वितीय विश्वयुद्ध में सम्मिलित हो गया तो हिटलर की सामरिक स्थिति बिगड़ने लगी।

हर पल सताता था मौत का डर
हिटलर को अपनी मौत का बहुत डर था। ऐसा कहते हैँ कि कहीं उसके खाने में ज़हर न मिला दिया गया हो। यही वजह थी कि वह अपने सेवकों के चखने के बाद ही खाना खाता था। उसे ऐसा लगता था कि इंग्लैण्ड उसे मारना चाहता है जिस कारण वह हर वक्त चौंकन्ना रहता था।

शादी के अगले दिन कर ली थी आत्महत्या
आत्महत्या करने से कुछ घंटों पहले ही उसने अपनी प्रेमिका ईवा ब्राउन से शादी की थी। ‘हिटलर्स लास्ट डे: मिनट बाई मिनट’ क़िताब के मुताबिक, 30 अप्रैल, 1945 को उसने खुद को गोरी मार ली थी। उस वक्त वह उस बंकर के कांफ्रेंस रूम में था जिसमें वह रहता था। क़िताब के अनुसार, हिटलर दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मनी की हार से बहुत दुखी था और इसी कारण वह अवसाद में चला गया था। उसके आत्महत्या करने के तुरंत बाद उसकी बीवी ईवा ब्राउन ने भी जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी।

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