बेसबब इंतिहान मत देना, तुम मोहब्बत में जान मत देना: मंसूर उस्मानी

बेसबब इम्तिहान मत देना, तुम मोहब्बत में जान मत देना, आंख मुंसिफ है, दिल अदालत है, कोई झूठा बयान मत देना. चाहे दिल ही जली रोशनी के लिए, हमसफर चाहिए जिंदगी के लिए.

दुश्मनी के लिए सोचना है गलत, देर तक सोचिए दोस्ती के लिए, जिस सदी में वफा का चलन ही नहीं, हम बनाए गए उस सदी के लिए….सुनिए साहित्य आजतक के मंच पर मंसूर उस्मानी की शायरी

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