शंख का है देवी लक्ष्मी जी से ख़ास रिश्ता, आइए जानते हैं

आप सभी जानते ही होंगे कि पूजा-अर्चना में अक्सर शंख बजाते हैं लेकिन क्या आपको मालूम हैं कि आखिर लोग शंख क्यों बजाते हैं और शंख पूजा-उपासना में बजाना क्यो जरूरी हैं..? जी हाँ, बहुत कम लोग इन सवालों के जवाब जानते हैं जो आज हम भी आपको बताने जा रहे हैं. जी दरअसल शास्त्रो में शंख को बड़ा ही कल्याणकारी माना गया हैं और ऐसा माना जाता हैं कि शंख देवी लक्ष्मी जी का भाई हैं इस कारण से उपासना में शंख के प्रयोग से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती हैं. कहते हैं पूजा में शंख को बजाने के अन्य कई लाभ हैं, जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

आपको पहले तो यह बता दें कि शंख को धन का प्रतीक माना जाता हैं, ब्रहंवैवर्त पुराण के अनुसार शंख चंद्रमा और सूर्य के अनुसार देवस्य कहते हैं. सनातन धर्म में पूजा स्थान पर शंख रखने की परंपरा हैं क्योंकि ऐसा माना जाता हैं कि पूजा स्थान पर शंख रखने से नकारात्मक शक्तियों और विपत्तियों का नाश होता हैं. इसी के साथ शंख मुख्य रूप से एक समुद्री जीव का ढांचा हैं, पौराणिक कथाओं में शंख की उत्पत्ति समुद्र से मानी जाती हैं.

लाभ – कहते हैं शंख के स्पर्श मात्र से साधारण जल भी गंगाजल के समान पवित्र हो जाता हैं और केवल इतना ही नहीं शंख बजाना सिर्फ धार्मिक महत्व नहीं रखता बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी हैं. जी हाँ, वैज्ञानिकों के अनुसार शंख की ध्वनि से वातावरण शुद्ध हो जाता हैं और जहां तक इसकी ध्वनि पहुँचती हैं वहाँ तक के किटाणुओं का नाश हो जाते हैं. इसी के साथ शंख बजाने से हृदय रोग और फेफड़ो जैसी बीमारियों का खतरा खत्म हो जाता है और रोजाना शंख बजाने से वाणी दोष भी समाप्त हो जाते हैं. वहीं शंख की ध्वनि सुनने से मन में एक अजीब सी शांति हो जाती है
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