कांग्रेस ने खोजी शिअद की काट और जानें पंजाब में किन मुद्दों पर मचेगा सियासी घमासान

पंजाब में लोकसभा चुनाव में इस बार फिर कई मुद्दों के अलावा पंथक मामलों पर सियासी माहौल गर्माने की तैयारी है। कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने एक-दूसरे को घेरने के लिए अपनी रणनीतियां तैयार कर ली है। हर बार चुनाव से पहले ऑपरेशन ब्लू स्टार और 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर कांग्रेस को घेरने वाले शिअद को श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में घिर रहा है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर शिअद को घेरने की रणनीति बनाई है। इससे पंजाब की सियासी घमासान होगा।

शिअद ने 1984 के दंगे को मुद्दा बनाया तो कांग्रेस ने उठाया श्री गुरुग्रंथ साहिब से बेअदबी का मामला

कांग्रेस के लिए यह मुददा बड़ी ढाल से कम नहीं है। अकाली भाजपा के कार्यकाल के दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करवाने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से बैठे सिखों पर जिस तरह से पुलिस ने गोली चलाई, उस पर शिअद को घेरने की तैयारी है। यह पंथक मुद्दा शिअद को मुश्किल में डालता नजर आ रहा है।

पंजाब के विधानसभा सभा चुनाव में शिअद को भारी पड़ा था बेअदबी मुद्दा

सुखबीर बादल के नेतृत्व वाली पार्टी को यह मुद्दा दो साल पहले विधानसभा चुनाव में कितना महंगा पड़ा, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि दस साल से लगातार सत्ता में रहने वाली पार्टी आज विपक्षी पार्टी भी नहीं है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह से हारने के बाद अपनी पंथक छवि को फिर से बहाल करने के लिए लोकसभा चुनाव में अकाली दल ने 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों को फिर से राजनीतिक मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है। इस मुद्दे को लेकर पिछले कई सालों से अकाली दल कांग्रेस को घेरता आ रहा है। इसने अकाली दल को चुनाव में फायदा भी पहुंचाया है। श्री खडूर साहिब जैसी पंथक सीट तो कांग्रेस कभी जीत ही नहीं सकी है।

1984 के सिख विरोधी दंगे के मुद्दे का शिअद के साथ-साथ भाजपा को भी मिलता रहा है फायदा

1984 सिख विरोधी दंगे के मुद्दे का फायदा शिरोमणि अकाली दल को ही नहीं मिला है, बल्कि उसके गठजोड़ सहयोगी भाजपा को भी मिलता रहा है। इस मुद्दे पर भाजपा ने अकाली दल का पूरा साथ दिया। पंजाब के बाहर जहां भी सिख बहुल इलाके हैं वहां पार्टी इस मुद्दे को भुनाती है। सिख वोट बैंक कांग्रेस की बजाय भाजपा के पक्ष में ही रहा है, लेकिन 2017 के चुनाव में यह मुद्दा नहीं चल सका, क्योंकि अमरिंदर सिंह की अगुआई में कांग्रेस ने बेअदबी की घटनाओं को अपनी ढाल बना लिया।

इस चुनाव में शिरोमणि अकाली दल मात्र 15 सीटों तक सिमटकर रह गया। कांग्रेस ने सत्ता में आने के लिए वादा किया कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान करने वालों को सलाखों के पीछे पहुंचाया जाएगा। उसने बेअदबी कांड की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया। रिपोर्ट को विधानसभा में पेश कर अकाली दल को बुरी तरह से घेरा गया।

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